Vasuki Nag Temple Vasak Dhera : जम्मू कश्मीर के डोडा स्थित वासुकी नाग मंदिर में तोड़फोड़ की घटना सामने आई है। कश्मीर में पंडितों के साथ ही अब मंदिरों को भी निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि यह मंदिर जम्मू में है। जम्मू संभाग में हुई इस घटना के बाद से स्थानीय हिन्दुओं में रोष व्याप्त है। घटना रविवार (5 मई, 2022) देर रात या फिर सोमवार को तड़के हुई। मंदिर में अंदर से लेकर बाहर तक तोड़फोड़ मचाई गई है। आओ जानते है कि क्या है इस मंदिर का महत्व।
वासुकि नाग मंदिर (डोडा जम्मू) : यह भद्रेवाह का सबसे पुराना मंदिर है जो 11वीं सदी में बना था। मंदिर में वासुकि भगवान की मूर्ति लगी हुई है जो एक बड़े से पत्थर से बनाई गई है। भद्रवाह के इस मंदिर को भद्रकाशी के रूप में भी जाना जाता है। मंदिर वास्तुकला और मूर्तिकला का एक अद्भुत नमूना है, जहां एक पत्थर पर दो प्रतिमाएँ (वासुकी और राजा जामुन वाहन) तराशी हुई हैं। इससे थोड़ी ही दूर पर कैलाश कुंड स्थित है, जिसे वासुकी कुंड के नाम से भी जानते हैं।
जनश्रुति के अनुसार कहा जाता है कि सन् 1629 में बसोहली के राजा भूपत पाल ने भद्रवाह पर अपना अधिकार जमा लिया था। परंतु कैलाश कुंड पार करते समय वे एक नागपाश में फंस गए। भयभीत राजा ने विशाल नाग से क्षमा याचना की तब नाग ने राजा के कान के छल्ले से यहां एक मंदिर बनवाने को कहा। यहां स्थित कुंड को वासक छल्ला भी कहते हैं, क्योंकि मंदिर निर्माण में देरी के कारण आक्रोशित नागराज ने पानी पी रहे राजा को छल्ला झरने से वापस कर दिया था। हालांकि, राजा ने शीघ्री ही मंदिर निर्माण कराक छल्ला वापस समर्पित किया। कथा है कि रास्ते में मूर्तियां जहां रखी गईं और वहां से उठी ही नहीं।
कौन है वासुकी : हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, वासुकि नागों के राजा हुआ करते थे जिनके माथे पर नागमणि लगी थी। शिवजी के गले में जो नाग है वह वासुकि ही है। इनकी बहन का नाम माता मनसा देवी है। वसुकी के पिता ऋषि कश्यप थे और उनकी मां कद्रू थीं। प्राचीनकाल में कश्मीर का संपूर्ण क्षेत्र ही शेषनाग (अनंतनाग) और उनके भाईयों का ही क्षेत्र था। यहां पर उन्हीं का राज था।