एक समय की बात है, मगध के व्यापारी को व्यापार में बहुत लाभ हुआ, अपार धन-संपत्ति पाकर उसका मन अहंकार से भर गया। उसके बाद से वह अपने अधीनस्थों से अहंकारपूर्ण व्यवहार करने लगा।
भगवान बुद्ध ने गंभीर स्वर में कहा- अभी तुम्हारे भिक्षु बनने का समय नहीं आया है। बुद्ध ने कहा- भिक्षु को पलायनवादी नहीं होना चाहिए। जैसे व्यवहार की अपेक्षा तुम दूसरों से करते हो, स्वयं भी दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करो। ऐसा करने से तुम्हारा घर भी मंदिर बन जाएगा।