इस पर श्री गणेश ने भी तुलसी को असुर से विवाह होने का शाप दे डाला।
बाद में तुलसी को अपनी भूल का अहसास हुआ और भगवान गणेश से क्षमा मांगी।
ना तुम्हारा शाप खाली जाएगा ना मेरा। मैं रिद्धि और सिद्धि का पति बनूंगा और तुम्हारा भी विवाह राक्षस जलंधर से अवश्य होगा लेकिन अंत में तुम भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की प्रिया बनोगी और कलयुग में भगवान विष्णु के साथ तुम्हें पौधेे के रूप में पूजा जाएगा लेकिन मेरी पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाएगा।