उस दिन चैत्र पूर्णिमा थी। वह दिन हनुमान जयंती के रूपमें मनाया जाता है। मारुति ने जन्म के समय ही उदीयमान सूरज देखा तथा उसे फल मानकर, उन्होंने सूर्य की दिशा में उड़ान भरी। उस समय सूर्यको निगलने हेतु राहु आया था। इंद्रदेव को लगा मारुति ही राहु है, अत: उन्होंने मारुति की ओर हथियार फेंका। वह मारुति की ठोढी यानी हनु पर लगा तथा उनकी ठोढी कट गई। तब से उन्हें हनुमान नाम प्राप्त हुआ।