इस दौरान भगवान जगन्नाथ को फलों के रस, औषधि एवं दलिया का भोग लगाया जाता है। भगवान स्वस्थ होने पर अपने भक्तों से मिलने रथ पर सवार होकर निकलते हैं जिसे जगप्रसिद्ध 'रथयात्रा' कहा जाता है। 'रथयात्रा' प्रतिवर्ष आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकलती है।