साल में केवल एक बार बंसी और मुकुट धारण करते हैं बांके बिहारी
बिहारी जी को वर्ष में केवल एक बार, शरद पूर्णिमा के अवसर पर, बंसी और मुकुट धारण कराया जाता है। आमतौर पर, उनके श्रृंगार में बंसी और मुकुट शामिल नहीं होते हैं। यह विशेष अवसर भक्तों के लिए एक अद्वितीय अनुभव होता है, जब वे अपने प्रिय बिहारी जी को उनके पारंपरिक रूप में देखते हैं।
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