1. तनोट की आवड़ माता : जैसलमेर से करीब 130 किमी दूर स्थित माता तनोट की आवड़ माता का मंदिर है। तनोट माता को देवी हिंगलाज माता का एक रूप माना जाता है। हिंगलाज माता शक्तिपीठ वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासवेला जिले में स्थित है। यह मंदिर सैनिकों की अटूट आस्था का प्रतीक है। यहां का चमत्कार यह है कि...
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2. आदिशक्ति एकवीरा : सूर्यकन्या ताप्ति नदी की उपनदी पांझर नदी के तट पर स्थित अति प्राचीन मंदिर में विराजित हैं आदिमाया एकवीरा देवी। महाराष्ट्र के धुलिया शहर के देवपुर उपनगर में विराजित यह स्वयंभू देवी महाराष्ट्र सहित मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात के कई घरानों में श्रद्धालुओं द्वारा कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं।
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3. इगतपुरी की घाटण देवी : यह नासिक से मुम्बई जाते समय रास्ते में इगतपुरी नामक एक छोटे से गांव की सुरम्य घाटियों के प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित है। मुम्बई-आगरा मार्ग से लगा हुआ यह गांव समुद्र तल से 1900 फीट ऊपर है। मुम्बई का रेलवे स्टेशन यहाँ का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है।
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4.मां गढ़ कालिका का मंदिर : उज्जैन के कालीघाट स्थित कालिका माता का प्राचीन मंदिर हैं। यह देवी राजा विक्रमादित्य की कुल देवी है जिसे गढ़ कालिका के नाम से जाना जाता है। देवियों में कालिका को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इस चमत्कारिक स्थान के बारे में लोग कहते हैं कि...
5.सप्तश्रृंगी देवी का अर्धशक्तिपीठ : महाराष्ट्र में देवी के साढ़े तीन शक्तिपीठ में से एक अर्धशक्तिपीठ वाली सप्तश्रृंगी देवी नासिक से करीब 65 किलोमीटर की दूरी पर 4800 फुट ऊंचे सप्तश्रृंग पर्वत पर विराजित हैं। सह्याद्री की पर्वत श्रृंखला के सात शिखर का प्रदेश यानी सप्तश्रृंग पर्वत, जहां विराजित देवी मां प्रकृति से हमारी पहचान कराती प्रतीत होती हैं। यह स्थान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि...
6.तांत्रिकों की देवी बगलामुखी : प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। उनमें से एक है बगलामुखी। बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है- उनमें से एक है नलखेड़ा में। महाभारत काल में इसका निर्माण हुआ था। इस मंदिर के अलवा अन्य दो मंदिर...
7.मां मनुदेवी का मंदिर : महाराष्ट्र के यावल-चोपड़ा मार्ग पर उत्तर सीमा में कासारखेड़-आड़गाँव ग्राम से लगभग 8 किमी दूरी पर मनुदेवी का अतिप्राचीन हेमाड़पंती मंदिर है। मंदिर चारों ओर से पर्वतों एवं हरियाली से घिरा हुआ है। आस-पास के लोग यहाँ पैदल व निजी वाहन से मन्नत माँगने देवी के द्वार आते हैं।
8.जगदंबा माता : महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित 'श्री जगदंबा माता' का मंदिर बीड और अहमदनगर जिले के मोहटे नामक गांव में स्थित है। भक्तों की आस्था है कि इस जागृत देवस्थान पर दर्शन हेतु आनेवाले हर व्यक्ति की मन्नत पूरी होती है।
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9.भवानी माता मंदिर खण्डवा : खण्डवा में धूनीवाले दादाजी के दरबार के पास स्थित हैं माता तुलजा भवानी को समर्पित एक मंदिर। कहते हैं भगवान राम अपने वनवास के दौरान इस स्थान पर आए थे और यहां उन्होंने नौ दिनों तक तपस्या की थी। नवरात्र में यहां नौ दिनों तक मेला लगता है, जिसे देखने और माता के दर्शन करने के लिए प्रतिवर्ष हजारों लोग यहां आते हैं।
10.चन्द्रिका देवी धाम : लखनऊ-नई दिल्ली नेशनल हाईवे-24 पर स्थित बख्शी का तालाब कस्बे से 11 किमी सड़क पर चन्द्रिका देवी तीर्थ धाम की महिमा अपरम्पार है। कहा जाता है कि गोमती नदी के समीप स्थित महीसागर संगम तीर्थ के तट पर एक पुरातन नीम के वृक्ष के कोटर में नौ दुर्गाओं के साथ उनकी वेदियाँ चिरकाल से सुरक्षित रखी हुई हैं।
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11.इंदौर की बिजासन माता : इंदौर की बिजासन माता के मंदिर में चैत्र नवरात्र के नौ दिन लगातार शतचंडी महायज्ञ किया जा रहा है। यज्ञलाभ लेने के लिए यहां अलसुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है। मंदिर में माता की पाषाण मूर्तियां विराजमान हैं। और इस मंदिर की का रहस्य यह है कि वैष्णोदेवी...
12.देवास माता टेकरी : देवास वाली माता की टेकरी बहुत प्रसिद्ध है। देवास टेकरी पर स्थित मां भवानी का यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। लोक मान्यता है कि यहां देवी मां के दो स्वरूप अपनी जागृत अवस्था में हैं। इन दोनों स्वरूपों को छोटी मां और बड़ी मां के नाम से जाना जाता है। बड़ी मां को तुलजा भवानी और छोटी मां को चामुण्डा देवी का स्वरूप माना गया है।
13.आट्टुकाल देवी का मंदिर : केरल के तिरुवनंतपुरम शहर में स्थित आट्टुकाल भागवती मंदिर की शोभा ही अलग है। कलिकाल के दोषों का निवारण करने वाली वही पराशक्ति जगदम्बा केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम शहर की दक्षिण-पूर्व दिशा में आट्टुकाल नामक गाँव में भक्तजनों को मंगल आशीष देते हुए विराजती हैं।
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14.शक्ति की देवी तुलजा भवानी : महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित है तुलजापुर। एक ऐसा स्थान जहां छत्रपति शिवाजी की कुलदेवी मां तुलजा भवानी स्थापित हैं, जो आज भी महाराष्ट्र व अन्य राज्यों के कई निवासियों की कुलदेवी के रूप में प्रचलित हैं।
15.पावागढ़ की कालका माता : गुजरात की ऊंची पहाड़ी पावागढ़ पर बसा काली माता का यह प्रसिद्ध मंदिर मां के शक्तिपीठों में से एक है। शक्तिपीठ उन पूजा स्थलों को कहा जाता है, जहां सती मां के अंग गिरे थे।
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16.आंध्रप्रदेश का मां त्रिशक्ति पीठम : श्रीकाली माता अमरावती देवस्थानम। इस पवित्र स्थान को त्रिशक्ति पीठम के नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में यह मंदिर आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा के गिने-चुने मंदिरों में से एक है। कृष्णावेणी नदी के तट पर बसा यह पवित्र मंदिर बेहद अलौकिक है।
17.कनक दुर्गा मंदिर : विजयवाड़ा स्थित ‘इंद्रकीलाद्री’ नामक इस पर्वत पर निवास करने वाली माता कनक दुर्गेश्वरी का मंदिर आंध्रप्रदेश के मुख्य मंदिरों में एक है। यह एक ऐसा स्थान है, जहां एक बार आकर इसके संस्मरण को पूरी जिंदगी नहीं भुलाया जा सकता है।
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18.गुजरात का मां अम्बाजी मंदिर : मां अम्बा-भवानी के शक्तिपीठों में से एक इस मंदिर के प्रति मां के भक्तों में अपार श्रद्धा है। यह मंदिर बेहद प्राचीन है। मंदिर के गर्भगृह में मां की कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है। यहां मां का एक श्री-यंत्र स्थापित है। इस श्री-यंत्र को कुछ इस प्रकार सजाया जाता है कि...