तुम्हारी आँखों में वह एक खामोश प्रश्न मैं रोज पढ़ती हूँ जिसका उत्तर तुम मेरी आँखों में तलाशते हो, न मेरी आँखों ने उत्तर दिया है, और न तुम्हारी आँखों ने प्रश्न पूछा है, वे अब तक मिली जो नहीं है, जब तुम देखते हो मुझे मेरी नजर जमी होती है तुम्हारे पैरों पर और जब मैं देखती हूँ तुम्हें तुम्हारी नजरें टिकी होती हैं मेरी परछाई पर डरती हूँ कहीं तुम्हारी आँखों का वह एक खामोश प्रश्न अनुत्तरित न रह जाए।