तेरे जाने का समय

विजय कुमार सप्पत्ती

जब तेरे जाने का समय आता है,
तो जाने कैसे लगता है
जैसे मैं धीमे-धीमे मर रहा हूँ !!!

एक पल;
तू रूक तो जरा !!!

मैं एक गहरी साँस ले लूँ ...
तेरी साँसों को, तेरी आँखों को,
तेरी जुल्फों को, तेरी खुशबू को,
तेरे हाथों को, तेरे एहसास को भर लूँ ...

हाँ, अब तुम जा सकती हो ...
हाँ, अब मैं मर सकता हूँ।।।

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