यूं डर की तो न कोई बात थी, फिर भी तुम चले गए।
अभी तो न की मुलाकात थी, फिर भी तुम चले गए।
कसमें निभाने की बात थी, फिर भी तुम चले गए।
सोचा था रोक लूंगा तुम्हें मुहब्बत का वास्ता देकर।
जिंदगी साथ निभाने की बात थी, फिर भी तुम चले गए।
चांद के साथ पीली अमराई बुला रही थी हमें।
आज फिर आने की बात थी, फिर भी तुम चले गए।
सैकड़ों शिकवे-शिकायत रहे होंगे मुझसे तुम्हें।
मगर प्यार करने की भी बात थी, फिर भी तुम चले गए।
याद में तेरी अश्क आंखों में उतर आते हैं।
कोशिश बहुत की कि तुम रुक जाओ।
यह हसरत जताने की बात थी, फिर भी तुम चले गए।