प्रेम कविता : बुझे-बुझे रहते हो...

बुझे-बुझे रहते मियां हो,
हरदम उसके ख्यालों में। 


 
संग मेरे आज चलो तुम,
चमन की बहारों में। 
 
हर कली आदाब करेगी,
हंस के चिलमन हटाएगी। 
 
आप के स्वागत में कलियां,
गजलें मुहब्बत गाएंगी। 
 
आप तो हसीन लगते, 
हुस्न की फिजाओं में। 

वेबदुनिया पर पढ़ें