जब बरखा रानी बिजुरी को छेड़े,
मन बेचैनी में बतियाता हो।
जब बूंदों की ताल से मिलकर,
मुझसे मिलने आ जाना तुम।
दो लाजभरे सुरमयी नैनों संग,
मुझसे कुछ बतिया जाना तुम।
जब चंचल नैनों की अनुरक्ति में,
कजरा चहका-चहका हो।
जब इन गजब घनेरी जुल्फों में,
रजनीगंधा महका-महका हो।
सागर की हैया-हैया हो।
तब घूंघट पट से नयन झांकती,
मुझसे मिलने आ जाना तुम।
दो लाजभरे सुरमयी नैनों संग,
जब तुम जोगन-सी बन दीवानी,
पिया मिलन को तरसी हो।
तब घूंघट पट से नयन झांकती,
मुझसे मिलने आ जाना तुम।
दो लाजभरे सुरमयी नैनों संग,
मुझसे कुछ बतिया जाना तुम।