सुबह का सूरज आज जब मुझे जगाने आया तो मैंने देखा वो उदास था मैंने पूछा तो बुझा-बुझा सा वो कहने लगा .. मुझसे मेरी रोशनी छीन ले गई है ; कोई तुम्हारी चाहने वाली, जिसके सदके मेरी किरणें तुम पर नजर करती थी !!!
रात को चाँद एक उदास बदली में जाकर छुप गया; तो मैंने तड़प कर उसे कहा, यार तेरी चाँदनी तो दे दे मुझे ... चाँद ने अपने आँसुओं को पोंछते हुए कहा मुझसे मेरी चाँदनी छीन ले गई है कोई तुम्हारी चाहने वाली, जिसके सदके मेरी चाँदनी तुम पर छिटका करती थी ;
रातरानी के फूल चुपचाप थे मैंने उनसे कहा, दोस्तों मुझे तुम्हारी खुशबू चाहिए, उन्होंने सिर झुकाकर कहा हमसे हमारी खुशबू छीन ले गई है कोई तुम्हारी चाहने वाली, जिसके सदके हमारी खुशबू तुम पर बिखरा करती थी;
घर भर में तुम्हें ढूँढता फिरता हूँ कहीं तुम्हारा साया है, कहीं तुम्हारी मुस्कराहट कहीं तुम्हारी हँसी है कहीं तुम्हारी उदासी तुम क्या चली गई मेरी रूह मुझसे अलग हो गई
यहाँ अब सिर्फ तुम्हारी खूबसूरत यादें हैं जिनके सहारे मेरी साँसें चल रही हैं...