तुम... किसी दूसरी जिंदगी का एहसास हो... कुछ पराये सपनों की खुशबू हो कोई पुरानी फरियाद हो किस से कहूँ कि तुम मेरे हो कोई तुम्हें कैसे भूल जाए
तुम... किसी किताब में रखा कोई सूखा फूल हो किसी गीत में रुका हुआ कोई अंतरा हो किसी सड़क पर ठहरा हुआ मोड़ हो किस से कहूँ कि तुम मेरे हो कोई तुम्हें कैसे भूल जाए
तुम... किसी अजनबी रिश्ते की आंच हो अनजानी धड़कन का नाम हो किसी नदी में ठहरी हुई धारा हो किस से कहूँ कि तुम मेरे हो कोई तुम्हें कैसे भूल जाए
तुम... किसी आँसू में रुकी हुई सिसकी हो किसी खामोशी के जज्बात हो किसी मोड़ पर टूटा हुआ हाथ हो किससे कहूँ कि तुम मेरे हो कोई तुम्हें कैसे भूल जाए
तुम हाँ..., तुम... हाँ, मेरे अपने सपनों में तुम हो हाँ, मेरी आखिरी फरियाद तुम हो हाँ, मेरी अपनी जिंदगी का एहसास हो मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगा कि तुम मेरी चाहत का एक हिस्सा हो शायद, सिर्फ ख्वाबों में, तुम मेरे हो
तुम हाँ... तुम... हाँ, मेरे अपने सपनों में तुम हो हाँ, मेरी आखिरी फरियाद तुम हो हाँ, मेरी अपनी जिंदगी का एहसास हो कोई तुम्हें कैसे भूल जाए कि तुम मेरे हो हाँ, तुम मेरे हो हाँ, तुम मेरे हो हाँ, तुम मेरे हो