तुम हो तो

गुरुवार, 26 नवंबर 2009 (13:10 IST)
भगवत रावत

लिखी जा नहीं सकेगी कभी तुम्हारे बिना
तृप्ति के बाद की शांति
धमनियों-शिराओं में बहती
नि:शब्द
नीरवता की आवाज

देह का कामनाओं से मुक्त होना
इच्छाओं का थक कर सो जाना
निष्कम्प लौ की तरह जागते मद्धिम प्रकाश
इंद्रियों का खो-सा जाना

तुम हो तो है इस तरह
एक और सुबह पाने की उम्मीनींद।

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