तुम्हारा आना

- राजेन्द्कुशवा

तुम्हारा आना....
मेरे जज्बातों का मुस्कुराना...
तुम्हारी जुदाई के पलों का...
यूँ मुझसे दूर जाना...
यह शहादत है मेरी...
कि तुम्हारा इंतजार रहता है...
न चाहते हुए भी क्यों..
मेरा दिल बेकरार रहता है...
प्यार नहीं है तुम्हें मुझसे...
फिर भी क्यों...
प्यार है मुझे तुमसे....
अफसोस है मुझे कि...
मैं बाँध नहीं पाता...
इन रिश्तों को....
जज्बातों को...
इन बिखरी हुई दास्ताँ को...
गर तुम चाहों तो बाँध लो...
मेरे इन जज्बातों को अपने...
बंधन में...
जगह दे दो अपने दिल- दामन में...
बंध ही जाऊँगा मैं तुम्हारे बंधन में...

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