प्यार का कथानक

प्रेमचंद्र प्रसाद

प्यार का तो हर कथानक ही नया है

प्यार की दुनिया बहुत होती अनूठी
यहाँ सब सच हैं, न होती वस्तु झूठी
प्यार से हर रंग कुछ गहरा गया है

प्यार आदिम राग की अंतिम पहुँच है
प्यार के अहसास से मीठा न कुछ है
प्यार से ही घोंसला बुनता बया है

प्यार का सौंदर्य होता है निछक्का
प्यार का हर रंग होता सहज-पक्का
प्यार करुणा, स्नेह, ममता है, दया है।

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