बावफ़ा तो नहीं हो गया

दीक्षित दनकौरी
मैं तेरा तो नहीं हो गया
काम का तो नहीं हो गया

तुझको पूजा अलग बात है
तू खुदा तो नहीं हो गया

रहज़नों से तेरी दोस्ती
रहनुमा तो नहीं हो गया

एक तो बोलना, वो भी सच
सरफिरा तो नहीं हो गया

जिक्र उसका नहीं अब कहीं
बावफ़ा तो नहीं हो गया।

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