मुझे न जाने क्या हुआ है

विजय कुमार सप्पत्ती

सकून के इंतजार में दिन गुजर जाता है
नींद के इंतजार में रात बीत जाती है

जरा तुम अपनी आँखों की नजर तो भेजना
जरा तुम अपने जुल्फों का साया तो भेजना

एक कोशिश कर लूँ
शायद मौत ही आ जाए ...

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