लौटा दो मेरा प्यार मुझे

शशीन्द्र जलधारी

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लौटा दो मेरा प्यार मुझे,
कुछ सूना-सूना लगता है।
यह सपनों का संसार मुझे,
लौटा दो मेरा प्यार मुझे।।

उन हँसी खुशी के लम्हों को,
जो हमने साथ बिताए थे।
मन की हरियाली धरती पर,
जो गीत खुशी के गाए थे।
नहीं चाहिए धन-दौलत,
बस, दे दो मेरा प्यार मुझे।
लौटा दो मेरा प्यार मुझे।।

मित्र बहुत हैं इस दुनिया में,
पर तुमसा दोस्त नहीं मिला।
क्यों रूठ गए हो तुम मुझसे,
कैसे ढहा ये दोस्ती का किला।
यारी की खातिर इस जंग में,
सहर्ष मंजूर है हार मुझे।
लौटा दो मेरा प्यार मुझे।।

जीवन की मुश्किल राहों में,
अब जीने से घबराता हूँ।
निराशा और हताशा में बस,
तुम्हारी ही बाट जोहता हूँ।
उन दूर किनारों से मुझको,
है भली लगे मझदार मुझे।
लौटा दो मेरा प्यार मुझे।।

दोस्ती के सफर में आखिर,
ये कड़वाहट कैसे आई।
पतझड़ आने से पहले ही,
कलियाँ सारी बिखर गईं।
सुख की शीतल छाँव में भी,
लगता जीवन दुश्वार मुझे।
लौटा दो मेरा प्यार मुझे।

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