रोमांस

हाँ पापा, मैंने प्यार किया था उसी लड़के से जिसे आपने मेरे लिए ढूँढा था।
उनकी नजरों ने जब से दिल को छुआ साँस मीना ,शराब उम्र हुई जिंदगी-भर वो मेरे दिल में रहे कैसे कह दू
सरकती है सिरहाने से धूप कि तुम जाती हो ये राह सिहरी-सी खड़ी देखती है तुम्हें कि तुम जाती हो ...
देर रात जब सितारों की झिलमिलाती बूँदें फिसलती है आसमानी आँगन में और मैं लौट आती हूँ ...
बस, अब नहीं लिखना तुम्हारे लिए, ना डायरी, ना कविता और ना ही खत, नहीं देखना वो कच्चे सपने ...
चाँद नहीं कहता तब भी मैं याद करती तुम्हें चाँद नहीं सोता तब भी मैं जागती तुम्हारे लिए ...