रंगों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। वैज्ञानिकों के अनुसार रंग तो मूलत: पांच ही होते हैं- कला, सफेद, लाल, नीला और पीला। काले और सफेद को रंग मानना हमारी मजबूरी है जबकि यह कोई रंग नहीं है। इस तरह तीन ही प्रमुख रंग बच जाते हैं- लाल, पीला और नीला। आपने आग जलते हुए देखी होगी- उसमें यह तीन ही रंग दिखाई देते हैं।
जब कोई रंग बहुत फेड हो जाता है तो वह सफेद हो जाता है और जब कोई रंग बहुत डार्क हो जाता है तो वह काला पड़ जाता है। लाल रंग में अगर पीला मिला दिया जाए, तो वह केसरिया रंग बनता है। नीले में पीला मिल जाए, तब हरा रंग बन जाता है। इसी तरह से नीला और लाल मिलकर जामुनी बन जाते हैं। आगे चलकर इन्हीं प्रमुख रंगों से हजारों रंगों की उत्पत्ति हुई। हिन्दू धर्म में केसरिया, पीला, गेरुआ, भगवा और लाल रंग को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। गेरू और भगवा रंग एक ही है, लेकिन केसरिया में मामूली-सा अंतर है।
1. पीला रंग : पीले रंग के वस्त्रों को पितांबर कहते हैं। इसके अंतर्गत आप नारंगी और केसरी रंग को भी शामिल कर सकते हैं। इससे गुरु का बल बढ़ता है। गुरु हमारे भाग्य को जगाने वाला गृह है। किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य में पीले रंग का इस्तेमाल किया जाता है। पूजा-पाठ में पीला रंग शुभ माना जाता है। केसरिया या पीला रंग सूर्यदेव, मंगल और बृहस्पति जैसे ग्रहों का भी प्रतिनिधित्व करता है। यह रोशनी को भी दर्शाता है। इस तरह पीला रंग बहुत कुछ कहता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार पीला रंग के उपयोग से हमारे रक्त में लाल और श्वेत कणिकाओं का विकास होता है। अर्थात रक्त में हिमोग्लोबिन बढ़ने लगता है। वैज्ञानिकों के अनुसार पीला रंग रक्त संचार बढ़ाता है। थकान दूर करता है। पीले रंग के संपर्क में रहने से रक्त कणों के निर्माण की प्रक्रिया बढ़ती है। सूजन, टॉन्सिल, मियादी बुखार, नाड़ी शूल, अपच, उल्टी, पीलिया, खूनी बवासीर, अनिद्रा और काली खांसी का नाश होता है।
पीले रंग का संबंध जहां वैराग्य से है वीं यह पवित्रता और मित्रता से भी है। वैवाहिक जीवन में और बेडरूम में पीले रंग का प्रयोग सामान्य रूप से नहीं करना चाहिए। किचन में और बैठक रूप में इस रंग का प्रयोग करें। घर का फर्श पीले रंग कर रख सकते हैं।
पीले रंग के फल और सब्जियों में पपीता,संतरा, अनानास, शिमला मिर्च, मक्का, सरसों, कद्दू, नींबू, पीच, आम, खरबूजा आदि का प्रयोग कर आप अल्फा कैरोटीन, बीटा कैरोटीन, बायोफ्लैवेनॉइड्स, विटामिन-सी को अपने शरीर में जगह देते हैं। यह त्वचा को जवां बनाए रखने के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा करते हैं। इसके इलावा यह हृदय रोग एवं फेफड़ों की समस्या के लिए भी फायदेमंद है। इससे आंखों की समस्याओं में भी फायदा मिलता है।
2. लाल रंग : लाल रंग के अंतर्गत केसरिया या भगवा का उपयोग भी कर सकते हैं। इसी में शामिल है अग्नि का रंग भी। शरीर में रक्त महत्वपूर्ण होता है। हिन्दू धर्म में विवाहित महिला लाल रंग की साड़ी और हरी चूड़ियां पहनती है। इसके अलावा विवाह के समय दूल्हा भी लाल या केसरी रंग की पगड़ी ही धारण करता है, जो उसके आने वाले जीवन की खुशहाली से जुड़ी है। लाल रंग उत्साह, सौभाग्य, उमंग, साहस और नवजीवन का प्रतीक है।
प्रकृति में लाल रंग या उसके ही रंग समूह के फूल अधिक पाए जाते हैं। मां लक्ष्मी को लाल रंग प्रिय है। मां लक्ष्मी लाल वस्त्र पहनती हैं और लाल रंग के कमल पर शोभायमान रहती हैं। रामभक्त हनुमान को भी लाल व सिन्दूरी रंग प्रिय हैं इसलिए भक्तगण उन्हें सिन्दूर अर्पित करते हैं। मां दुर्गा के मंदिरों में आपको लाल रंग की ही अधिकता दिखाई देगी।
भगवा या केसरिया सूर्योदय और सूर्यास्त का रंग भी है, मतलब हिन्दू की चिरंतन, सनातनी, पुनर्जन्म की धारणाओं को बताने वाला रंग है यह। केसरिया रंग त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। शिवाजी की सेना का ध्वज, राम, कृष्ण और अर्जुन के रथों के ध्वज का रंग केसरिया ही था। केसरिया या भगवा रंग शौर्य, बलिदान और वीरता का प्रतीक भी है।
सनातन धर्म में केसरिया रंग उन साधु-संन्यासियों द्वारा धारण किया जाता है, जो मुमुक्षु होकर मोक्ष के मार्ग पर चलने लिए कृतसंकल्प होते हैं। ऐसे संन्यासी खुद और अपने परिवारों के सदस्यों का पिंडदान करके सभी तरह की मोह-माया त्यागकर आश्रम में रहते हैं। भगवा वस्त्र को संयम, संकल्प और आत्मनियंत्रण का भी प्रतीक माना गया है।
घर की दीवारों का रंग लाल नहीं होना चाहिए। बेडरूम में चादर, पर्दे और मैट का रंग लाल नहीं होना चाहिए। लाल रंग का प्रयोग बहुत सोच समझकर करना चाहिए। लाल से मिलता जुलता कोई रंग लें। लाल रंग का कहां प्रयोग करें और कहां नहीं यह जानना जरूरी है, क्योंकि लाल रंग उत्साह को उग्रता में बदलने की ताकत रखता है।
लाल रंग के फल और सब्जियों में लाइकोपिन और एंथेसायनिन होता है, जो कैंसर की संभावना को कम करने के साथ ही आपकी याददाश्त को बढ़ाने में मदद करते है। ये शरीर को आवश्यक उर्जा भी प्रदान करते हैं, जिससे आप तरोताजा बने रहते हैं। इसके लिए अपनी डाइट में टमाटर, गाजर, चुकंदर, शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, तरबूज, सेब, चेरी, आलूबुखारा आदि को शामिल कर सकते हैं।
3. सफेद रंग : शुभ्र या सफेद आत्मा का रंग है जिसमें हल्का सा निलापन भी है। भारतीय योगियों का मत है कि आत्मा का रंग शुभ्र यानी पूर्ण सफेद होता है जबकि पाश्चात्य योगियों के अनुसार आत्मा बैंगनी रंग की होती है। कुछ ज्ञानीजन मानते हैं कि नीला रंग आज्ञा चक्र का एवं आत्मा का रंग है। नीले रंग के प्रकाश के रूप में आत्मा ही दिखाई पड़ती है और पीले रंग का प्रकाश आत्मा की उपस्थिति को सूचित करता है।
सफेद रंग माता सरस्वती का है। इसे राहु शांत रहता है। घर में सफेद रंग के उपयोग के भी कुछ वास्तु नियम जरूर समझ लेना चाहिए। प्राचीन काल में जब यज्ञ किया जाता था तो सफेद रंग का उपयोग ही किया जाता था। सफेद रंग से मन में शांति और सुख का आभास होता है। सफेद रंग से शुद्धता और पवित्रता का आभास भी होता है। पश्चिमी देशों में शादी के समय दुल्हन सफेद रंग का गाउन पहनती है जबकि भारती जैसे देश में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है सभी सफेद रंग पहन के जाते हैं। जबकि इसके विपरित पश्चिम में किसी की मृत्यु पर लोग काला रंग पहनते हैं।
सफेद रंग को सब्जियों या फलों के माध्यम से अपनी डाइट में शामिल करने से कैंसर और ट्यूमर होने का खतरा कम होता है। इसके अलावा ये हृदय को स्वस्थ रखने के साथ-साथ शरीर में वसा के स्तर के नियंत्रित करते हैं। इनमें एलीसीन और फ्लैवेनॉइड भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। सफेद रंग को डाइट में शामिल करने के लिए आप केला, मूली, आलू, गोभी, लहसुन, प्याज, नारियल, मशरूम आदि का प्रयोग कर सकते हैं।
4. नीला रंग : संपूर्ण जगत में नीले रंग की अधिकता है। धरती पर 75 प्रतिशत फैले जल के कारण नीले रंग का प्रकाश ही फैला हुआ है तभी तो हमें आसमान नीला दिखाई देता है। जब व्यक्त ध्यान करने लगता है तो अंधेरे में कहीं नीला और फिर कहीं पीला रंग दिखाई देने लगता है। यदी आप गुलाबी रंग देखेंतो तो आपको उसमें लाल, सफेद और नीला रंग दिखाई देगा।
नीला रंग अध्यात्म और भाग्य से संबंध रखता है। इसके भी सोच समझ कर ही उपयोग करना चाहिए। खालिस नीला रंग उपयोग ना करें। नीले के साथ पीला, सफेद और हल्के लाल रंग का उपयोग कर सकते हैं किसी ज्योतिष से पूछकर। नीले रंग का सही समय पर और सही तरीके से उपयोग करेंगे तो यह जीवन में सफलता देगा।
एंथोसायनिन से भरपूर नीले या बैंगनी रंग कि फल और सब्जियां आपकी त्वचा को स्वस्थ और जवान बनाए रखने में मदद करता है। यह हृदय रोगों के लिए भी फायदेमंद होता है और कैंसर की संभावना का कम करने में सहायक है। इसके लिए आप जामुन, काले अंगूर, आलू बुखारा, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, बैंगन और इस रंग की अन्य पत्तेदार सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। वैसे हमारी सलाह है कि नीले या बैंकनी रंग की सब्जियां सोच-समझकर ही खाएं।