हिन्दू धर्म हजारों समाज, मत और विचाधाराओं का एक संगठित रूप है, जिसमें कई तरह की अंतरधाराएं मौजूद है जो एक दूसरे की विरोधी होने के बावजूद एक है। उसके एक होने का कारण उसकी प्राचीन वैदिक परंपरा और पांच वैदिक कुल और ऋषियों के कुल से हुआ उनका उद्गम है। वेदों में पांच वैदिक कुल को पंचनंद कहा गया है।
ये पांच कुल है:- 1.पुरु, 2.यदु, 3.तुर्वस, 4.अनु और 5.द्रुहु। पांचों पुत्रों ने अपने- अपने नाम से राजवंशों की स्थापना की। यदु से यादव, तुर्वसु से यवन, द्रुहु से भोज, अनु से मलेच्छ और पुरु से पौरव वंश की स्थापना हुई। पुरु के वंश में ही भरत हुए थे।
इस तरह सभी वंश परंपरा से हजारों वर्षों में समाज और समाज से हजारों तरह की जातियों का निर्माण होता चला गया। सभी वैदिक आर्यों, ऋषियों और आदिजनों आदि की संताने हैं। उल्लेखनीय है कि आर्य किसी जाति का नाम नहीं है और न ही ये कहीं बाहर से आए थे। आर्य पूर्णत: भारतीय ही थे। वे जल प्रलय के समय त्रिविष्ठप (तिब्बत) चले गए थे और फिर वहीं से पुन: भारत में फैल गए।
अब जानिए हिन्दू धर्म में समाहित पंथ : मूलत: हिन्दुओं के छह पंथ माने जा सकते हैं- वैष्णव, शैव, शाक्त, वैदिक, स्मार्त और संत। शैव के अंतर्गत ही अघोर, दसनामी, नाग, महेश्वर, कश्मीरी शैव, कापालिक, पाशुपत और नाथ संप्रदाय आते हैं। उस तरह शाक्त के अंतर्गत कई संप्रदाय है। बैरागी, दास, रामानंद, वल्लभ, निम्बार्क, माध्व, राधावल्लभ, सखी, गौड़ीय, श्री आदि संप्रदाय वैष्णवों के अंतर्गत आते हैं। पुराने समय में एक चर्वाक नामक संप्रदाय होता था जो अब नहीं है।
वैदिक संप्रदाय में आधुनिक काल में आर्य और ब्रह्म समाज नामक दो संप्रदायों जैसे अन्य संप्रदाय भी हो गए हैं। स्मृति ग्रंथों या पुराणों पर आधारित संप्रदायों को स्मार्त के अंतर्गत माना गया है। इसके अलावा संत संप्रदाय के अंतर्गत कबीर पंथ, दादू पंथ, रैदास, उदासी पंथ, लालजी पंथ, रामस्नेही पंथ, निरंजनी पंथ, बिश्नोई पंथ, निर्मल, महानिर्वाणी, जूना अखाड़ा पंथ, गोरख पंथ आदि। संत संप्रदाय में से भी कुछ शैव और वैष्णवों में बंटे हुए हैं।
प्राचीनकाल में देव, नाग, किन्नर, असुर, गंधर्व, भल्ल, वराह, दानव, राक्षस, यक्ष, किरात, वानर, कूर्म, कमठ, कोल, यातुधान, पिशाच, बेताल, चारण, विद्याधर आदि जातियां हुआ करती थी।
आजकल बहुत से धार्मिक संतों के संगठन हैं, जिनके कारण भी वैचारिक भिन्नता देखने को मिलती है जैसे ब्रह्माकुमारी, गायत्री परिवार, राधास्वामी सत्संग, जयगुरुदेव सत्संग, कबीर पंथ, निरंकार पंथ, बालयोगेश्वर पंथ, हरे राम हरे कृष्ण पंथ, सनातन पंथ, सतपाल महाराज का पंथ, श्रीश्री रविशंकर संगठन आदि ऐसे कई धार्मिक नेता हैं जिन्होंने हिन्दू धर्म में एकता स्थापित करने के बजाय अपना एक अलग ही वैचारिक संगठन चलाया है। हालांकि सभी के दर्शन का मूल वेद ही है।