वेदांग-युगान्तर में वैदिक अध्ययन के लिए छः विधाओं की शाखाओं का जन्म हुआ जिन्हें ‘वेदांग’ कहते हैं। वेदांग का शाब्दिक अर्थ है वेदों का अंग, तथापि इस साहित्य के पौरूषेय होने के कारण श्रुति साहित्य से पृथक ही गिना जाता है। वे ये हैं- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरूक्त, छन्दशास्त्र तथा ज्योतिष। वैदिक शाखाओं के अन्तर्गत ही उनका पृथकृ-पृथक वर्ग स्थापित हुआ और इन्हीं वर्गों के पाठ्य ग्रन्थों के रूप में सूत्रों का निर्माण हुआ। हिन्दू जीवन के समस्त कर्म, क्रिया, संस्कृति, अनुष्ठानादि समझाने के एक मात्र अवलंब ये सूत्र ही हैं।