*17 जुलाई 2011 में पहले पांच कक्षों को खोलने के बाद ही टी.पी सुंदरराजन यानी वे शख्स जिन्होंने इन दरवाजों को खुलवाने के लिए अदालत में याचिका दी थी, पहले वे बीमार पड़े और फिर उनकी मौत हो गए। अगले ही महीने मंदिर प्रशासन ने यह चेतावनी जारी कर दी की यदि किसी ने भी उस अंतीम कक्ष को खुलवाने या खोलने की कोशीश की तो अंजाम बहुत बुरा होगा।