कर्म की थ्योरी जानिए :
शास्त्रों के अनुसार हमारे जितने भी सगे-संबंधी हैं, वे सभी किसी न किसी कारण ही हमारे सगे-संबंधी बने हैं। कुछ भी अकारण या संयोग से नहीं होता है। संयोग भी किसी कारणवश ही होता है। कार्य और कारण की इस श्रृंखला को समझना थोड़ा कठिन है। बहुत सी बातें तर्क या तथ्य से परे होती हैं। वह इसलिए, क्योंकि हम उसके पीछे के विज्ञान या कारण को जान नहीं पाते हैं।
हिन्दू शास्त्रों और ज्योतिषानुसार आपका यह जीवन पिछले जन्म पर आधारित है। जरूरी नहीं है कि पूर्ण जीवन ही पिछले जन्म पर आधारित हो। लेकिन पिछले जन्म का हमारा कुछ हिसाब-किताब अगर बाकी रह जाता है, तो वह उसे हमें इस जन्म में पूरा करना होता है। यहां यह स्पष्ट करना होगा कि सनातन धर्म भाग्यवादियों का धर्म नहीं है। धर्मशास्त्र और नीतिशास्त्रों में कहा गया है कि कर्म के बगैर गति नहीं। आपके द्वारा किया गया कर्म ही आपके भविष्य को निर्धारित करता है।
ज्योतिषानुसार :
ज्योतिष शास्त्र में संतान सुख के विषय पर बड़ी गहनता से विचार किया गया है। भाग्य में संतान सुख है या नहीं, संतान सुख कब मिलेगा, पुत्र होगा या पुत्री, दोनों का सुख प्राप्त होगा या नहीं, संतान होगी तो वह कैसी निकलेगी, शत्रु या मित्र? संतान सुख प्राप्ति में क्या बाधाएं हैं और उनका क्या उपचार है? इन सभी प्रश्नों का उत्तर पति और पत्नी की जन्म कुंडली के विस्तृत व गहन विश्लेषण से प्राप्त हो सकता है। जन्म लग्न और चन्द्र लग्न में जो बली हो, उससे 5वें भाव से संतान सुख का विचार किया जाता है।