हिन्दू धर्म की कहानी-1

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हिन्दू धर्म दुनिया का प्राचीन धर्म है। इससे पहले लोग कबीलों का जीवन जीते थे और झूठे देवी और देवताओं की पूजा-करते थे और समाज में किसी भी प्रकार की कोई नैतिकता और व्यवस्था नहीं थी। लेकिन आर्यों ने दुनिया को बदल दिया और उन्होंने आज से 15 हजार वर्ष पूर्व धर्म को एक व्यवस्था दी। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष आधारित 4 आश्रमों का समाज बनाया, धरती को रहने का स्थान बनाया और साथ ही लोगों में एक नई सोच का विकास किया। उन्होंने दुनिया को ऐसा दर्शन दिया, जो विज्ञानसम्मत है और जो आज भी प्रासंगिक है। आओ जानते हैं हिन्दू धर्म के उत्थान, विकास और पतन की रोचक कहानी।

हिन्दू धर्म के दो भाग हैं- वेद और पुराण। वेदों के भी दो भाग हैं- एक वह जो ऋग्वेद को मानते हैं और दूसरा वह जो अथर्ववेद को मानते थे। ऋग्वेद और यजुर्वेद से देवसंस्कृति का विकास हुआ तो सामवेद और अथर्ववेद से असुर संस्कृति का विकास हुआ। पुराणों ने दोनों ही संस्कृति के धर्म, नियम और इतिहास को सम्मिलित और संरक्षित रखने का प्रयास किया। इस तरह वैदिक और पौरा‍णिक 2 तरह के संप्रदाय बन गए।

वेदों से 4 संप्रदायों की उत्पत्ति हुई:- 1. एकवादी, 2. द्वैतवादी, 3. अद्वैतवादी और 4. प्रकृतिवादी। हालांकि यह कोई संप्रदाय नहीं है, ये वैदिक दर्शन के ही मुख्य भाग हैं। इसे एक ईश्वर या ब्रह्मवादी भी कहते हैं। ब्रह्म ही सत्य है, अहं ब्रह्मास्मि, तत्वमसी ये 3 ब्रह्म वाक्य हैं।

पुराणों से 4 संप्रदायों की उत्पत्ति हुई:- 1. वैष्णव, 2. शैव, 3. शाक्त और 4 स्मार्त। वैष्णव जो विष्णु को परमेश्वर मानते हैं, शैव जो शिव को परमेश्वर मानते हैं, शाक्त जो देवी को परमशक्ति मानते हैं और स्मार्त जो परमेश्वर के विभिन्न रूपों को एक ही समान मानते हैं। स्मार्त बहुदेववादी भी होते हैं और एकेश्वरवादी भी।

अब आप सोच रहे होंगे कि फिर ये ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और क्षुद्र समाज की उत्पत्ति कैसे हुई? जारी...
- (कॉपिराइट)

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