Maharana Pratap Jayanti 2025: वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया और अपने पूरे जीवनकाल में मुगलों से लड़ते रहे। उनका सबसे प्रसिद्ध युद्ध हल्दीघाटी का युद्ध था, जिसमें उन्होंने मुगल सेना को कड़ी टक्कर दी थी। वे एक कुशल योद्धा और शासक थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई युद्ध लड़े और मुगलों को कभी भी हराने नहीं दिया। महाराणा प्रताप का घोड़ा 'चेतक' उनकी वीरता का प्रतीक था। आओ जानते हैं महाराणा प्रताप की सेना के 5 विकट योद्धाओं की संक्षिप्त जानकारी।
1. हकीम खान सूर: शेरशाह सूरी के खानदान से संबंध रखने वाले हकीम खान सूर एक मुस्लिम योद्धा थे जो महाराणा प्रताप की ओर से हल्दीघाटी के युद्ध में मुगलों के खिलाफ लड़े थे। हकीम खां सूर अपने 1500 सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप की सेना में शामिल हुए थे। कहते हैं कि हकीम खां सूर मारे गए तो भी उनके हाथ की तलवार अंत तक नहीं छूटी और उन्हें इस तलवार के साथ ही दफनाया गया।
2. भामाशाह: भारमल के बेटे भामाशाह रणथंभौर के सेनापति और कुशल प्रशासक भी थे। वे हरावल दस्ते में हल्दीघाटी में अपने भाई ताराचंद के साथ मिलकर मुगल सेना से लड़े थे। एक समय तो ऐसा आया कि अब्दुल रहीम खानखाना ने उन्हें अकबर की सेवा में ले जाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन भामाशाह अंत तक राणा के ही साथ रहे। कहते हैं कि दिवेर की सफलता में भामाशाह का बहुत बड़ा हाथ था।
3. रामसिंह: रामसिंह तोमर ग्वालियर के राजा विक्रमादित्य सिंह के बेटे थे। उन्होंने मुगलों ने निकाल दिया था और पराजित कर दिया था। बाद में इन्होंने महाराणा प्रताप की सेना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन्हें अजमेर के निकट एक जागीर दी गई थी। यह उदयसिंह का समय था, लेकिन बाद में महाराणा प्रताप ने भी इनके लिए 800 रुपए प्रतिदिन की मदद तय की थी। ये अपने तीन बेटों के साथ मेवाड़ आए और हल्दीघाटी के युद्ध में शहीद हो गए थे।
4. झाला बीदा: झाला बीदा, एक जागीरदार थे, जो हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप का मार्गदर्शन करते हुए आगे बढ़े थे और उन्होंने महाराणा प्रताप को बचाया था। झाला बीदा एक प्रसिद्ध क्षत्रिय सरदार थे, जो महाराणा प्रताप के साथ हल्दीघाटी के युद्ध में शामिल हुए थे। उन्होंने महाराणा प्रताप को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. वे झाला मन्ना के दादा थे, जिन्होंने भी हल्दीघाटी के युद्ध में अपनी बहादुरी का प्रदर्शन किया था।
5. अखेराजसोनगरा: ये पाली के चौहान थे। इनके पुत्र मानसिंह हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप के लिए लड़े और शहीद हो गए थे। अखेराज सोनगरा ही वह पहले राजपूत शासक थे, जिन्होंने महाराणा उदयसिंह के सिर शासक का ताज रखने की राह निकाली।
इसके अलावा भीम सिंह डोडिया, रामदास राठौर भी महाराणा प्रताप की सेना में वीर योद्धा थे। इन सभी से ज्यादा शक्तिशाली वीर योद्धा चेतक था।