इसके बाद शिवाजी की प्रचंड शाक्ति ने मुगलों को भारत के इस भाग में आगे नहीं बढ़ने दिया। मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई और मराठा पूरे महाराष्ट्र में फैल गए और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक हो गया था। उनके बाद महाराष्ट्र पेशवा राजवंश के अधीन हो गया। पेशवाओं ने दक्षिण के पठार से लेकर पंजाब पर हमला बोल कर मराठाओं का आधिपत्य स्थापित किया।
स्वतंत्रता के बाद जब मुंबई राज्य से महाराष्ट्र और गुजरात के गठन का प्रस्ताव आया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुंबई को अलग केन्द्रशासित प्रदेश बनाने का प्रयास किया लेकिन इससे महाराष्ट्र में विद्रोह भड़क उठा। मुंबई को महाराष्ट्र में रखने के लिए आंदोलन चला जिसमें कई लोगों की जान चली गई। आखिरकार मुंबई महाराष्ट्र का हिस्सा बना।
अंत में सभी मराठी भाषी स्थानों का एकत्रीकरण करके एक राज्य बनाने को लेकर बड़ा आंदोलन चला और 1 मई, 1960 में बंबई पुनर्गठन अधिनियम के तहत् कोंकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र (खानदेश) तथा विदर्भ, सभी संभागों को जोड़कर एक नए राज्य महाराष्ट्र राज्य की स्थापना हुई।