मुहम्मद गौरी को 17 बार हराने वाले पृथ्वीराज चौहान की मौत कैसे हुई?

WD Feature Desk

शुक्रवार, 7 जून 2024 (11:35 IST)
Prithviraj chauhan Death
Prithviraj chauhan Death : कई इतिहासकारों का मानना है कि ऐसे कई भारतीय राजा हुए हैं जिनके इतिहास को अधूरा या गलत पढ़ाया जाता है या कि तथ्यों को छुपाया जाता है। उनमें से एक है पृथ्वीराज चौहान। इतिहास में पढ़ाया जाता है कि लुटेरे शाहबुद्दीन मोहम्मद गौरी से पृथ्वीराज चौहान हार गए थे। लेकिन यह एक अधूरा सत्य है।
ALSO READ: Mughal Empire : मुगलों में कितने बादशाह हुए और उन्होंने भारत के किस क्षेत्र पर राज किया?
तराइन का प्रथम युद्ध : हमारे इतिहास में यह पढ़ाया जाता है कि मोहम्मद गौरी ने चौहानवंश के सम्राट पृथ्वीराज चौहान को तराइन के दूसरे युद्ध में हरा दिया था, लेकिन यह नहीं पढ़ाया जाता है कि पहली लड़ाई में क्या हुआ। पहली लड़ाई वर्ष 1191 में हुई थी जिसमें पृथ्वीराज चौहान ने न केवल मोहम्मद गौरी को हराया था बल्कि उसकी पूरी सेना को बंधक बना लिया था और कई दिनों तक उस लुटेरे को सम्राट ने अपनी जेल में रखा। बाद में उसे और उसकी सेना पर दया करके उसे छोड़ दिया गया और उसे उसके देश लौटने का मौका दिया। हालांकि कुछ इतिहासकार यह कहते हैं कि तराइन के प्रथम युद्ध में मुहम्मद गोरी की बुरी तरह हार हुई और उसकी सेना भाग खड़ी हुई। वह भी बुरी तरह से घायल होकर भाग गया था। कहते हैं कि लुटेरे गौरी की जान एक युवा खिलजी घुड़सवार ने बचाई थी। यह भी कहा जाता है कि यह लड़ाई भटिंडा सहित पंजाब पर गौरी के अधिकार को लेकर हुई थी। पृथ्‍वीराज पंजाब की धरती से इस लुटेरे के अधिकार को समाप्त करके राजपूतों का अधिकार स्थापित करना चाहते थे। 
 
तराइन का दूसरा युद्ध : मोहम्मद गौरी तराइन की पहली लड़ाई में बुरी तरह हारने और बंधक बना लेने और फिर छोड़े जाने के एक वर्ष बाद यानी 1192 में वह दोगुनी सेना लेकर पृथ्‍वीराज चौहान से लड़ने आया। हालांकि तब भी पृथ्‍वीराज चौहान को वह हरा नहीं सकता था, लेकिन इस दूसरे युद्ध में उसे कन्नौज के गद्दार राजा जयचंद का साथ मिला। जयचंद ने दिल्ली की सत्ता को हथियाने के लालच में एक क्रूर और धोखेबाज लुटेरे से हाथ मिला लिया। उसने मौहम्मद गौरी को न केवल अपनी सेनी दी बल्कि पृथ्‍वीराज चौहान के पड़ाव और सेना की सूचना भी दी। 
ALSO READ: Mughal harem stories : मुगल बादशाहों के हरम की 10 ऐसी बातें जिन्हें जानकर रह जाएंगे हैरान
मौहम्मद गौरी ने जयचंद के कहने पर धोखे से पृथ्‍वीराज की सेना पर रात में सोते हुए सैनिकों पर हमला कर दिया। युद्ध में खूब रक्तपात बहा और अंतत: धोखे से उसने यह जीत हासिल कर ली। लेकिन पृथ्‍वीराज चौहान पर जीत हासिल करने के बाद मोहम्मद गौरी ने जयचंद को भी मार दिया। बाद में गौरी ने अजमेर पर चढ़ाई कर दी और वहां के कई मंदिरों को तोड़ दिया और खूब लूटपाट मचाई।
ALSO READ: क्या मुगलों का संपूर्ण भारत पर राज था और क्या अंग्रेजों ने मुगलों से सत्ता छीनी थी?
कैसे वीरगति मिली सम्राट पृथ्‍वीराज चौहान को :-
1. पृथ्‍वीराज चौहान का निधन कैसे हुआ यह अज्ञात है। कहते हैं कि कुछ समय तक पृथ्वीराज को एक ज़ागीरदार के रूप में राज करने दिया गया। बाद में एक षड़यंत्र के अपराध में पृथ्वीराज को मार डाला गया। 
 
2. कुछ का मत है कि उन्हें बंदी बनाकर ग़ज़नी ले जाया गया था और वहां उन पर बहुत अत्याचार किया गया। उनकी आंखें फोड़ दी गई। उसके बाद उनकी मृत्यु हो गई। 
 
3. यह भी किंवदंती है कि पृथ्वीराज का दरबारी कवि और सखा चंदबरदाई भी गजनी गए थे। वहां उन्होंने अपने बुद्धि कौशल से पृथ्वीराज चौहान द्वारा मुहम्मद गौरी का संहार कराकर उससे बदला ले लिया था। फिर मुहम्मद ग़ोरी के सैनिकों ने उन सभी को मार डाला।
 

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी