भगवान श्रीकृष्ण हिन्दुओं के पूर्णावतार कहे गए हैं। वे ही धर्म के केंद्र में हैं। श्रीमद्भगवत गीता संपूर्ण वेद और उपनिषदों का सार है। भगवान श्रीकृष्ण के संबंध में एक रोचक कथा हमें पुराणों में मिलती है जिससे हमें शिक्षा मिलत है कि हमें एकनिष्ठ बने रहना चाहिए। यदि आप बार बार अपना ईष्ट बदलते रहते हैं तो एक दिन आप खुद को हारा हुआ पाएंगे। तो जानिए महत्वपूर्ण कथा...
तब भगवान कृष्ण ने निराश होकर कहा- ''प्रिये! संकट में एक व्यक्ति मुझे पुकार रहा था, इसीलिए मैं उसकी मदद के लिए दौड़ा, लेकिन मैं वहां पहुंचता इससे पूर्व ही उस व्यक्ति ने अपनी आस्था बदल दी और वह किसी ओर को पुकारने लगा। तब मैं क्या करता, मैंने भी सोचा कि अब आराम से भोजन ही कर लिया जाए और उसे नियति पर छोड़ दिया जाए।
कुछ देर रुककर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, ''उसने मुझ पर थोड़ा भी विश्वास और धैर्य नहीं रखा। वह व्यक्ति कभी भी एकनिष्ठ नहीं रह सकता, जिनमें विश्वास और धैर्य नहीं।''
पहले तो थोड़ी सी परेशानी से ही लोग भगवान को पुकारने लग जाते हैं और जब पुकारते हैं तब यह सोचकर की पता नहीं ये भगवान कुछ करेंगे या नहीं अपने विचार बदलकर किसी और भगवान को पुकारने लग जाते हैं। ऐसे लोगों को भगवान और खुद में कभी विश्वास नहीं होता। ये आस्था बदलने वाले लोग एक दिन वे ही गिर जाते हैं जैसे कि तूफान के दिनों में सूखे वृक्ष।