दुर्योधन को मिला शाप
6.एक बार महर्षि मैत्रेय हस्तिनापुर पथारे। विश्राम के बाद धृतराष्ट्र ने पूछा- भगवन् वन में पांचों पांडव कुशलपूर्वक तो हैं न। महर्षि ने कहा, वे कुशल है, लेकिन मैंने सुना कि तुम्हारे पुत्रों ने पाण्डवों को जुए में धोखे से हराकर वन भेज दिया? ऐसा कहकर पीछे मुड़ते हुए उन्होंने दुर्योधन से कहा, तुम जानते हो पाण्डव कितने वीर और शक्तिशाली हैं? महर्षि की बात सुनकर दुर्योधन ने क्रोध में अपनी जांघ पर हाथ से ताल ठोंक दी। दुर्योधन की यह उद्दण्डता देखकर महर्षि को क्रोध आ गया और उन्होंने कहा, तू मेरा तिरस्कार करता है, मेरी बात शांतिपूर्वक सुन नहीं सकता। जा उद्दण्डी जिस जंघा पर तू ताल ठोंक रहा है, उस जंघा को भीम अपनी गदा से तोड़ देगा।