शिखंडी का नाम सभी ने सुना होगा। शिखंडी को उसके पिता द्रुपद ने पुरुष की तरह पाला था तो स्वाभाविक है कि उसका विवाह किसी स्त्री से ही किया जाना चाहिए। ऐसा ही हुआ लेकिन शिखंडी की पत्नी को इस वास्तविकता का पता चला तो वह शिखंडी को छोड़ अपने पिता के घर चली गई। क्रोधित पिता ने द्रुपद के विनाश की चेतावनी दे दी।
मान्यता अनुसार ऐेसा कहते हैं कि हताश शिखंडी जंगल में जाकर आत्महत्या करने लगा तभी एक यक्ष ने वहां उपस्थित होकर उसकी स्थिति पर दया करते हुए रातभर के लिए अपना लिंग उसे दे दिया ताकि वह अपना पुरुषत्व सिद्ध कर सके। हालांकि यक्ष की इस हरकत से यक्षपति कुबेर नाराज हो गए और उन्होंने उस यक्ष को शाप दे दिया कि शिखंडी के जीते-जी उसे अपना लिंग वापस नहीं मिल पाएगा। यही शिखंडी महाभारत में भीष्म के घायल होने और अंततः उनकी मृत्यु का कारण बना।
पिछले जन्म में शिखंडी एक महिला थी : दरअसल, शिखंडी पिछले जन्म में अंबा नामक राजकुमारी था जिसका दो बहनों के साथ भीष्म ने अपहरण कर लिया था। भीष्म इन बहनों की शादी शारीरिक रूप से अक्षम अपने अनुज विचित्रवीर्य से करना चाहते थे। अंबा ने भीष्म को बताया कि उसका प्रेमी है और प्रार्थना की कि उसे मुक्त कर दें। भीष्म ने उसे मुक्त कर दिया लेकिन उसके प्रेमी ने उसे अपनाने से मना कर दिया और उसे वापस विचित्रवीर्य के पास लौटना पड़ा, लेकिन विचित्रवीर्य ने भी उसे अस्वीकार कर दिया। तब अंबा ने भीष्म के सामने विवाह का निवेदन रखा, लेकिन उन्होंने तो आजीवन ब्रह्मचारी रहने व्रत लिया हुआ था।