हिन्दू धर्म : नियम का पालन नहीं करोगे तो....

किसी भी धर्म, समाज या राष्ट्र में नीति-नियम और व्यवस्था नहीं है तो सब कुछ अव्यवस्थित और मनमाना होगा। उसमें भ्रम और भटकाव की गुंजाइश ज्यादा होगी इसलिए व्यवस्थाकारों ने व्यवस्था दी। लेकिन कितने लोग हैं जो नीति और नियम का पालन करते हैं?

पालन नहीं करने का परिणाम : लोग धर्म के नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उससे उनके जीवन में जहां दुख और असफलता आती है वहीं उनका जीवन एक भ्रम और भटकाव ही बनकरह जाता है। वे फिर मनमाने मंदिर, दरगाह, गुरु, परंपरा, ज्योतिष आदि के बीच सुखों की तलाश करते रहते हैं, लेकिसुकहीनहीमिलताअंतकामेपछतातहैं।

आश्रम से जुड़ा धर्म : हिंदू धर्म आश्रमों की व्यवस्था के अंतर्गत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की शिक्षा देता है। इसी में समाहित है धार्मिक नियम और व्यवस्था के सूत्र। जैसे कैसा हो हिंदू घर, हिंदू परिवार, हिंदू समाज, हिंदू कानून, हिंदू आश्रम, हिदू मंदिर, हिंदू संघ, हिंदू कर्त्तव्य और हिंदू सि‍द्धांत आदि।

आश्रम है ये चार- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास।

वेद है सर्वोच्च धर्मग्रंथ : वेद, स्मृति, गीता, पुराण और सूत्रों में नीति, नियम और व्यवस्था की अनेक बातों का उल्लेख मिलता है। उक्त में से किसी भी ग्रंथ में मतभेद या विरोधाभास नहीं है। जहां ऐसा प्रतीत होता है तो ऐसा कहा जाता है कि जो बातें वेदों का खंडन करती हैं, वे अमान्य हैं।

मनुस्मृति में कहा गया है कि वेद ही सर्वोच्च है। वही कानून श्रुति अर्थात वेद है। महर्षि वेद व्यास ने भी कहा है कि जहां कहीं भी वेदों और दूसरे ग्रंथों में विरोध दिखता हो, वहां वेद की बात मान्य होगी। वेद और पुराण के मतभेदों को समझते हुए हम हिंदू व्यवस्था के उस संपूर्ण पक्ष को लेंगे जिसमें उन सभी विचारधाराओं का सम्मान हो, जिनसे वेद प्रकाशित होते हैं।

वेद है चार- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।

इन नियमों का पालन करें-

1. ईश्वर को ही सर्वोपरि मानें। एकनिष्ठ बनें।
2. प्रतिदिन मंदिर जाएं।
3. प्रतिदिन संध्यावंदन करें।
4. आश्रमों के अनुसार जीवन को ढालें।
5. वेद को साक्षी मानें और जब भी समय मिले गीता पाठ करें।
6. दस तरह के पाप से बचें।
7.हर हिंदू के पांच नित्य कर्तव्यों को जानकर उसका पालन करें।
8.सभी को समान समझे, छुआछूत मानना पाप है।
9. हिंदुओं के 16 संस्कारों का पालन करें।
10. संयुक्त परिवार का पालन करें...

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