बहुत से हिन्दुओं के घरों में शालिग्राम होता है। यह शिवलिंग से मिलता-लता एक पत्थर होता है जो कि नेपाल के मुक्तिनाथ, काली गंडकी नदी के तट पर ही पाया जाता है। शिवलिंग शिवजी तो शालिग्राम भगवान विष्णु का विग्रह रूप है। यह बहुत जाग्रत होते हैं। मान्यता है कि घर में भगवान शालिग्राम हो, वह तीर्थ के समान माना जाता है। स्कंदपुराण के कार्तिक महात्म्य में शिवजी ने भी शालिग्राम की स्तुति की है।
शालिग्राम को घर में रखने के कई चमत्कारिक लाभ हैं। जिस घर में शालिग्राम का पूजन होता है उस घर में लक्ष्मी का सदैव वास रहता है। शालिग्राम पूजन करने से अगले-पिछले सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति हर ओर से सुखी रहता है, लेकिन उसे इन 5 नियमों का पालन करना जरूरी है अन्यथा वह बर्बाद हो सकता है। यहां दी जा रही जानकारी मान्यता, अनुभव और विद्वानों के उपदेश पर आधारित है।
क्यों हो जाता है व्यक्ति बर्बाद : बहुत से विद्वान मानते हैं कि शालिग्राम का पत्थर ब्रह्मांडीय ऊर्जा का एक स्रोत है। मतलब यह कि यह एक छोटी-सी गैलेक्सी की तरह है। इसमें अपार एनर्जी होती है। इसका प्रभाव घर के आसपास तक रहता है। एनर्जी के इस स्रोत को पवित्र और सकारात्मक बनाए रखना जरूरी है, लेकिन यदि आप इसे किसी भी प्रकार से दूषित करते हैं तो निश्चित ही आपके घर में गृहकलह और घटना-दुर्घटनाएं बढ़ जाएंगी। अच्छी-भली जिंदगी बर्बादी के रास्ते पर चली आएगी। यदि आप खुद को मांस, मदिरा, गाली-गलोच, स्त्री अपमान आदि जैसी बुराईयो से दूर नहीं रखते हैं और उपरोक्त पांच नियमों का पालन नहीं करते हैं तो आपको शालिग्राम को भी घर में नहीं लाना चाहिए। अमृत और जहर एक ही बोतल में नहीं भरे जा सकते।