भारत की राजनीति में साम, दाम, दंड और भेद की नीति का उपयोग किया जाता रहा है। लेकिन हमारे जितने भी नीतिज्ञ हुए हैं, चाहे वे विदुर हों, पराशर हों, भीष्म हों या अन्य कोई- उन्होंने एक आदर्श राज्य की स्थापना और जीवन को शांति एवं प्रगतिशील तरीके से संचालित करने के लिए नैतिक नीति का पालन करने पर जोर दिया है।