ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती के साथ ही वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार शनि जयंती 19 मई 2023 शुक्रवार को रहेगी। इस दिन तीन दुर्लभ योग बन रहे हैं- शोभन, गजकेसरी और शश योग। इस दिन दोपहर में अभिजित मुहूर्त भी रहेगा। आओ जानते हैं कि इस महत्वपूर्ण दिवस पर क्या करें।
इस दिन सूर्योदय के समय किसी शुद्ध और पवित्र जलाशाय, कुंड या दिन में स्नान करें।
स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करें। इससे सूर्य दोष समाप्त हो जाएगा।
इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करूर करें। ऐसा करने से सभी तरह के पितृदोष समाप्त होकर संपात मिटकर जीवन में सुख और समृद्धि के रास्ते खुलेंगे।
इस दिन पीपल में जल अर्पित करके दीया जलाने से सभी दोषों का शमन होकर श्रीहरि विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
इस वट सावित्री का व्रत रखने वाली महिलाओं की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। पति की आयु लंबी होती है और साथ ही घर परिवार में सुख बढ़ता है।
इस दिन यम देवता की पूजा करनी चाहिए और यथाशक्ति दान-दक्षिणा देना चाहिए।
इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। इस दिन उनकी विधिवत पूजा करने और छाया दान करने से शनि दोष, महादशा, ढैया और साढ़ेसाती की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है।
इस दिन शनि का दान करना चाहिए। जैसे काले तिल, लोहे की वस्तु, तेल, काली उड़द, काला वस्त्र, जूते चप्पल, छाता, जामुन का फल और काले चने आदि दान करें।
इस दिन कुत्ते, कौवे, गाय, गरीब, दरिद्र, मजदूर, रोगी और दिव्यांग आदि को भोजन कराना चाहिए।
इस दिन साफाईकर्मी, मजदूर और विधवाओं को कुछ न कुछ दान जरूर दें या उनकी किसी भी प्रकार से सहायता करें।
इस दिन हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।
इस दिन शनि भगवान के एकाक्षरी मंत्र से उनकी पूजा करें- ऊँ शं शनैश्चाराय नमः। सामान्य पूजा के दौरान इसी मंत्र को पढ़ना चाहिए।
शनि देव को वृद्धावस्था का स्वामी कहा गया है, जिस घर में माता पिता व वृद्धजनों का सम्मान होता है उस घर से शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं तथा जिस घर में वृद्ध का अपमान होता है उस घर से खुशहाली दूर भागती है। शनि जयंती पर घर के तथा अन्य वृद्धों का सम्मान करें।
शनि देव को उड़द की दाल की बूंदी के लड्डू बहुत प्रिय है अत: इस दिन उन्हें पूजा के दौरान लड्डू का भोग लगाकर बांटना चाहिए।
शनि से उत्पन्न भीषण समस्या के लिए शनि जयंती के रोज भगवान भोलेनाथ व हनुमान जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए। शनि चालीसा, शिव चालीसा, बजरंगबाण, हनुमान बाहुक व हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
शनि जयंती पर शनि भगवान की विधिवत पूजा और आरती करने के बाद कथा सुनें या पढ़ें।
शनि जयंती के दिन शनि मंदिर से शनि रक्षा कवच या काला धागा हाथ में बांधने के लिए अवश्य लें।
एक-एक किलो 7 प्रकार के अनाज, आधा किलो तिल, आधा किलो काले चने और कुछ लोहे की कील को एक साथ एक नीले कपड़े में बांध लें और इसे किसी शनि मंदिर में दान कर दें। ऐसा करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होगी है और कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
शनि जयंती के दिन लोहे का त्रिशूल महाकाल शिव, महाकाल भैरव या महाकाली मंदिर में अर्पित करें।
शनि दोष के कारण विवाह में विलंब हो रहा हो, तो 250 ग्राम काली राई, नए काले कपड़े में बांधकर पीपल के पेड़ की जड़ में रख आएं और शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें।
शनि जयंती के दिन बंदरों को काले चने, गुड़, केला खिलाएं।
शनि जयंती को काले उड़द पीसकर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।
शनि जयंती से आरंभ कर चीटिंयों को 7 शनिवार काले तिल, आटा, शक्कर मिलाकर खिलाएं।
शनि की साढ़े साती और ढैया से ग्रसित व्यक्ति को हनुमान चालीसा का सुबह-शाम जप करना चाहिए।
शनि जयंती पर हो सके तो शमशान घाट में लकड़ी का दान करें या किसी उचित स्थान पर शमी का वृक्ष लगाएं।