1. यदि आपने व्रत का संकल्प ले रखा है तो पूर्णिमा की समाप्ति पर ही पारण होगा।
2. पूर्णिमा की रात को रखी गई खीर या दूध का आज सेवन कर सकते है।
3. आज के दिन सभी को खीर का प्रसाद वितरित करें।
4. पूर्णिमा व्रत की कथा सुनें। कथा से पूर्व एक लोटे में जल और गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली व चावल रखकर कलश की वंदना करें और दक्षिणा चढ़ाएं।
6. रात्रि के समय गाय के दूध से बनी खीर में घी और चीनी मिलाकर अपने ईष्टदेव को भोग लगाएं। इसके बाद रात्रि में चंद्रदेव का पूजन करें तथा उन्हें खीर का भोग अर्पण करें। कहते हैं कि सफल दाम्पत्य जीवन के लिए पूर्णिमा के दिन पति-पत्नी दोनों को ही चन्द्रमा को दूध का अर्ध्य अवश्य ही देना चाहिए। इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।