शरद पूर्णिमा पर जानिए चांद की सोलह कलाएं और उनका महत्व

WD Feature Desk

सोमवार, 14 अक्टूबर 2024 (15:24 IST)
Sharad Poornima

हिन्दू धर्म में चंद्रमा को एक महत्वपूर्ण ग्रह और देवता के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि चंद्रमा की सोलह कलाएं होती हैं, जो उसके पूर्ण स्वरूप को दर्शाती हैं। यह कलाएं चंद्रमा की पूर्णता, सौंदर्य और उसकी शक्तियों का प्रतीक हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि ये सोलह कलाएं कौन सी हैं और उनका धार्मिक महत्व क्या है।

सोलह कलाओं का अर्थ और महत्व
चंद्रमा की सोलह कलाएं उसकी पूर्णता का प्रतीक मानी जाती हैं। इन कलाओं को भगवान श्रीकृष्ण ने भी धारण किया था, जो इस बात का संकेत देती हैं कि यह कलाएं न केवल प्रकृति से जुड़ी हैं बल्कि आत्मज्ञान और पूर्णता का भी प्रतीक हैं। हर कला चंद्रमा की एक विशेष स्थिति को दर्शाती है और व्यक्ति के जीवन में विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है।

चंद्रमा की सोलह कलाएं कौन-कौन सी हैं?
चंद्रमा की सोलह कलाओं के नाम इस प्रकार हैं:

1. अमृता
यह कला अमृत की धारा से जुड़ी मानी जाती है, जो जीवन को अमरत्व का संदेश देती है।

2. मनदा
मन को स्थिर और शांत रखने वाली शक्ति से जुड़ी यह कला चंद्रमा की शीतलता का प्रतीक है।
3. पुष्टि
यह कला शरीर और मन को पोषण और शक्ति प्रदान करती है।

चांद की सोलह कलाएं जीवन में धन, समृद्धि और वैभव को आकर्षित करने वाली शक्ति से संबंधित है।

5. तुष्टि
संतोष और शांति की भावना उत्पन्न करने वाली शक्ति को दर्शाती है।

6. धृति
धैर्य और सहनशीलता का प्रतीक मानी जाती है।

7. शशिनी
यह कला चंद्रमा की चमक और उसकी ऊर्जा का प्रतीक है।

8. धरा
पृथ्वी पर जीवन के पोषण से संबंधित यह कला अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

9. कांति
चंद्रमा की आभा और सौंदर्य का प्रतीक है।

10. ज्योत्स्ना
चंद्रमा की शीतल, हल्की रोशनी का प्रतीक है।

11. सुधा
यह कला अमृत की तरह जीवन को ऊर्जा प्रदान करती है।

12. चंद्रिका
चंद्रमा की रोशनी से जुड़ी यह कला जीवन में नई दिशाओं का संकेत देती है।

13. कान्ति
आकर्षण और सौंदर्य की कला है।

14. ज्योति
चमक और तेजस्विता का प्रतीक है।

15. स्मृति
याददाश्त और अनुभवों को संचित रखने की शक्ति।

16. वपु
शरीर की सुंदरता और उसके स्वास्थ्य से संबंधित यह कला मानी जाती है।

क्या है चन्द्रमा की सोलह कलाओं का जीवन में प्रभाव
चंद्रमा की सोलह कलाएं हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती हैं। यह कलाएं मानसिक शांति, संतुलन, शारीरिक स्वास्थ्य, और आध्यात्मिक उन्नति से संबंधित हैं। हिन्दू धर्म में इन कलाओं का ध्यान और पूजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, ताकि व्यक्ति जीवन में संतुलन और समृद्धि प्राप्त कर सके।

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