आज शरद पूर्णिमा पर इस समय चांद की रोशनी में रखें खीर, बरसेगा अमृत मिलेगा स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद

WD Feature Desk

सोमवार, 6 अक्टूबर 2025 (15:33 IST)
Sharad purnima par kheer kab rakhe: हर वर्ष आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा (या कोजागरी पूर्णिमा) मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह वह रात है जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणों से पृथ्वी पर अमृत बरसता है। इस विशेष दिन पर चांदनी में खीर रखने की परंपरा सदियों पुरानी है, जिसके पीछे स्वास्थ्य, धन और आध्यात्मिक लाभ जुड़े हैं।

शरद पूर्णिमा 2025: कब रखें चांदनी में खीर?
इस वर्ष 6 अक्टूबर 2025 को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। खीर को अमृतमय बनाने के लिए इसे चंद्रमा की शुद्ध और शक्तिशाली रोशनी में रखना चाहिए, लेकिन शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना अनिवार्य है।

तिथि और समय विवरण
पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 6 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:23 बजे
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति:    7 अक्टूबर 2025, सुबह 9:16 बजे
भद्रा काल: 6 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:23 बजे से रात 10:53 बजे तक
धार्मिक पंचांगों के अनुसार, भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है। इसलिए, आपको रात 10:53 मिनट पर भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही, खीर को चंद्रमा की छाया में रखना चाहिए। 6 अक्टूबर को रात 10:37 बजे से लेकर 7 अक्टूबर रात 12:09 मिनट के दौरान आप किसी भी समय खीर रख सकते हैं।

खीर रखने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
चांदनी में खीर रखने की परंपरा सिर्फ आस्था नहीं है, बल्कि इसके पीछे आयुर्वेद और वैज्ञानिक तथ्य भी मौजूद हैं।

1. धार्मिक मान्यता:
अमृत तत्व: माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें अत्यंत शीतल और पोषक होती हैं, जिनमें अमृत तत्व (औषधीय गुण) समाहित होते हैं। जब खीर को रात भर इन किरणों के नीचे रखा जाता है, तो ये अमृत तत्व खीर में समाहित हो जाते हैं।
स्वास्थ्य लाभ: यह अमृत तुल्य खीर खाने से शरीर की गर्मी (पित्त) शांत होती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह खीर चर्म रोगों से मुक्ति दिलाने और आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी सहायक है।
मां लक्ष्मी का आगमन: इस रात मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं। जो भक्त रात भर जागरण कर माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उन्हें धन-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

2. वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक तर्क
पित्त संतुलन: शरद ऋतु (सितंबर से नवंबर) में दिन गर्म और रातें ठंडी होने लगती हैं, जिससे शरीर में पित्त दोष बढ़ जाता है। खीर, जिसमें मुख्य रूप से दूध, चावल और चीनी (या मिश्री) होती है, स्वभाव से शीतल होती है। रात भर चंद्रमा की शीतल किरणों में रखने से इसकी शीतलता और बढ़ जाती है, जो बढ़े हुए पित्त को शांत करने में मदद करती है।
पोषक तत्वों का समावेश: दूध में लैक्टिक एसिड और चावल में स्टार्च होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये दोनों तत्व चंद्रमा की किरणों से ऊर्जा और शक्ति को अवशोषित करने में सहायक होते हैं।
श्वसन और हृदय रोग: खासकर दमा (अस्थमा) और हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए इस खीर का सेवन विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है, क्योंकि यह शरीर को आंतरिक शीतलता प्रदान करती है।
अतः शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर उसे शुद्ध चांदनी में रखना और अगले दिन प्रसाद के रूप में उसका सेवन करना एक ऐसी परंपरा है, जो आध्यात्मिक सुख के साथ-साथ शारीरिक आरोग्य भी प्रदान करती है।
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