भारतीय शेयर बाजार में किसी बड़े चमत्कार की आशा करना उचित नहीं है। हमने दो सप्ताह पहले यह बात कही थी, लेकिन उस समय थोड़ी-सी बढ़त से निवेशकों को यह लगा था कि बाजार अब बॉटम आउट कर रहा है, लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था के हो रहे बेड़ागर्क से कोई नहीं बच पाएगा।
दुनिया के सबसे बड़े निवेशकों में शुमार जॉर्ज सोरोस का कहना है कि मंदी की कहानी तो 1980 से लिखी जा रही थी। वे कहते हैं कि इस समय शेयर बाजार में जो भी सुधार दिख रहे हैं वे टिक नहीं पाएँगे और मंदी जारी रहेगी।
महँगाई दर के तीन साल के उच्च स्तर सात फीसदी पहुँच जाने, औद्योगिक उत्पादन घटने, अनेक राज्यों में आने वाले विधानसभा चुनाव और इसके बाद लोकसभा चुनाव की आहट के साथ अमेरिकी मंदी के बढ़ते प्रेत ने सरकार की नींद उड़ा दी है। आर्थिक मंदी के साथ बेरोजगारी बढ़ी तो मौजूदा सरकार के लिए अगला चुनावी समर जीतना कठिन हो जाएगा, इसलिए सरकार हर तरह से महँगाई को कम करने के साथ औद्योगिक मोर्चे की मार्चपास्ट जारी रखने के प्रयास कर रही है।
शेयर बाजार के खिलाड़ियों की नजर सरकारी कदमों के साथ कॉरपोरेट नतीजों पर टिकी है। आईटी कंपनी इन्फोसिस के नतीजे 15 अप्रैल को आ रहे हैं। इस दिन से कंपनियों के नतीजे की विधिवत शुरुआत हो जाएगी यानी नतीजों के साथ-साथ शेयर बाजार के चढ़ने व उतरने की शुरुआत।
उम्मीद यही की जा रही है कि कॉरपोरेट नतीजे बाजार के अनुकूल आएँगे। कॉरपोरेट जगत ने हाल में जो भारी-भरकम अग्रिम कर चुकाया है, उससे तो यही लगता है कि नतीजे शानदार होंगे, लेकिन कंपनियों ने बैंकरों की सलाह के मुताबिक अपने बहीखातों में फोरेक्स डेरीवेटिव्ज संबंधी नुकसान को शामिल किया तो नतीजे अनुकूल नहीं दिखेंगे। इसका असर वित्तवर्ष 2008-09 के नतीजों पर भी देखने को मिलेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक चढ़ती महँगाई को देखते हुए कड़े मौद्रिक उपाय कर सकता है। नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर में बढ़ोतरी की जा सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक की 29 अप्रैल को मौद्रिक नीति पर बैठक होने जा रही है। रिजर्व बैंक का लक्ष्य महँगाई दर को पाँच फीसदी करना है।
बैंकिंग जगत का मानना है कि सीआरआर में बढ़ोतरी के अलावा रेपो दरों में बढ़ोतरी कर आगे दिए जाने वाले कर्ज दरों में इजाफा किया जा सकता है। साथ ही रिवर्स रेपो दर भी बढ़ाकर प्रत्यक्ष ब्याज दर के बारे में भी संकेत दिए जा सकते हैं। हालाँकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अब और ब्याज कटौती से इनकार कर दिया है। बैंक का मानना है कि पहले की गई ब्याज दर कटौती का अर्थव्यवस्था पर अभी पूरा असर नहीं दिखा है।
इस बीच, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य टीसी नायर ने कहा है कि बाजार चढ़ता गिरता रहेगा, लेकिन लंबे समय तक निवेश करने वालों को अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद है। शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के बावजूद दीर्घकालिक निवेशकों के हित सुरक्षित हैं, क्योंकि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है। लेकिन दुनिया के विख्यात निवेशक जॉर्ज सोरोस कहते हैं कि शेयर बाजार में मौजूदा सुधार तीन सप्ताह से लेकर तीन महीने तक दिख सकता है, लेकिन मंदी जारी रहेगी। यानी निवेशकों के सामने एक भ्रम की स्थिति की अल्प सुधार को टिकने वाला मानने लगे। ऐसी स्थिति में मजबूत बुनियाद और बेहतर रिटर्न देने वाली कंपनियों में किया गया निवेश ज्यादा फायदेमंद होगा।
बुनियादी रूप से मजबूत होने के साथ बेहतर रिटर्न दे रही कंपनियों में शीपिंग कॉरपोरेट, अशोक लिलैंड, एचपीसीएल, वरुण शिपिंग, बोंगाईगाँव रिफाइनरी, आंध्र बैंक, तमिलनाडु न्यूज प्रिंट, चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेट, आईसीआई इंडिया, निट टेक्नोलॉजीस, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, एमटीएनएल, एचईजी, हिंदुस्तान यूनिलीवर, डीसीएम श्रीराम कंसोलिडेटेड, फिनोलैक्स इंडस्ट्रीज, टाटा एलेक्सी को शामिल किया जा सकता है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्स 7 अप्रैल से शुरू हो रहे सप्ताह में 15957 से 14814 के बीच घूमता रहेगा। जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 4833 से 4463 अंक के बीच कारोबार करता रहेगा। कारोबारियों की राय में शेयर बाजार में सुधार का दौर जून के दूसरे सप्ताह से देखने को मिल सकता है। हालाँकि, इस बीच बीएसई सेंसेक्स के नीचे में 13500 अंक तक जाने की आशंका जताई जा रही है।
इस सप्ताह निवेशक टैक्समैको, भेल, रैनबैक्सी, सुजलॉन एनर्जी, कोलगेट पामोलिव, पावर फाइनेंस, हनीवैल ऑटोमेशन, जीटीएल, इलेक्ट्रॉस्टील कास्टिंग, जीआईसी हाउसिंग, गुजरात फ्लोरोकैम, अल्फा लावल, कावेरी सीड, यूटीआई गोल्ड ईटीएफ, गीतांजलि जैम्स और नागार्जुन कंसट्रक्शन पर ध्यान दे सकते हैं।
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