शिर्डी स्थित श्री साईं बाबा महा समाधि के 100 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। सन् 1918 में जब 15 अक्टूबर को दशहरा आया था, उस दशहरे के दिन दोपहर के समय श्री साईं बाबा ने आखिरी सांस ली थी। ऐसा कहा जाता है कि साईं बाबा ने अपने भक्तों से कहा था कि दशहरा का दिन उनके दुनिया से विदा होने के लिए सबसे अच्छा दिन है और कुछ साल पहले ही इसका संकेत भी उन्होंने दे दिया था।
साईं बाबा के बारे में अधिकांश जानकारी गोविंदराव रघुनाथ दाभोलकर द्वारा लिखित 'श्री साईं सच्चरित्र' से मिलती है। मराठी में लिखित इस मूल ग्रंथ का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। यह साईं सच्चरित्र साईं बाबा के जिंदा रहते ही 1910 से शुरू की जाकर 1918 में उनके समाधिस्थ होने तक इसका लेखन चला। साईं के जीवन चरित्र पर पुस्तक में इसका उल्लेख है।
महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गांव में साईं बाबा का जन्म हुआ था और सेल्यु में बाबा के गुरु वैकुंशा रहते थे। कहते हैं कि सेल्यु (सेलू) गांव जहां साईं बाबा ने अपनी उम्र के 5 से 12 वर्ष तक अपने गुरु से योग की शिक्षा ली थी। उस समय यह हिस्सा हैदराबाद निजामशाही का एक भाग था। भाषा के आधार पर प्रांत रचना के चलते यह हिस्सा महाराष्ट्र में आ गया था, तब से इसे महाराष्ट्र का हिस्सा माना जाता है।
बाबा के गुरु महाराज साईं बाबा को योग सिखाने के लिए सेलू से 30 किलोमीटर दूर जालना जिले के उमरखेत गांव के एक किले में ले जाया करते थे। इसी गांव के आगे है खंडोबा मंदिर। शिर्डी के इस खंडोबा मंदिर के सामने ही सबसे पहले साईं रूके थे। जहां उनका नाम पड़ा साईं।
धूपखेड़ा के चांद पाटिल के रिश्तेदार की बारात इस खंडोबा मंदिर के सामने ही उतरी और रुकी थी। चांद पाटिल के साथ बाल फकीर थे जिन्हें देखकर मंदिर के पुजारी म्हालसापति ने उन्हें साईं कहकर पुकारा। तब से लेकर अब तक शिर्डी के साईं बाबा को उनके भक्त उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं। उनका प्रिय मंत्र 'ॐ साईं राम' एक प्रभावशाली मंत्र है, जिसके निरंतर जाप करने से जीवन की समस्त परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
उनकी महा समाधि के 100 वर्ष पूर्ण होने पर देशभर के श्रीसाईं मंदिरों में विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जाएंगे। इसके साथ ही प्रात:काल साईं प्रतिमा का पंचामृत स्नान, अभिषेक, पूजन, कथा वाचन तथा यज्ञ, हवन भी होंगे। रात्रि में महाआरती होगी। शिर्डी का साईं मंदिर उनके भक्तों में बहुत प्रिय है अत: इस मंदिर में भक्तों की तादाद दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। पूरे विश्व में श्री साईं बाबा समाधि शताब्दी महोत्सव के रूप में भी मनाया जा रहा है।