महाशिवरात्रि 4 मार्च 2019 को फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी होती है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि (मासिक शिवरात्रि) को व्रत रखा जाता है। लेकिन सबसे बड़ी शिवरात्रि महाशिवरात्रि कहलाती है।
महाशिवरात्रि व्रत विधान : -
गरुड़ पुराण के अनुसार शिवरात्रि से एक दिन पूर्व त्रयोदशी तिथि में शिवजी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके उपरांत चतुर्दशी तिथि को निराहार रहना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को गंगा जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर 'ॐ नमः शिवायः' मंत्र से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए और अगले दिन प्रातःकाल ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
गरुड़ पुराण के अनुसार इस दिन भगवान शिव को बिल्व पत्र के साथ सफेद आंकड़े के फूल अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव को बिल्व पत्र व सफेद आंकड़े के फूल बेहद प्रिय हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को रुद्राक्ष, बिल्व पत्र, भांग, शिवलिंग और काशी अतिप्रिय हैं।
इस दिन महानिशिथकाल में महामृत्युंजय का जाप करने से रोग-शोक से राहत मिलती है। कोई भी व्रत पूर्ण श्रद्धा रखकर किया जाए तभी सफल होता है।
हर कोई चाहता है कि वह भगवान की आराधना करें, उपवास रखे। साथ ही वह भगवान से अपनों के दुखों को दूर करने का भी वरदान मांगता है और जीवन में तरक्की की कामना करता है।
शिव की उपासना और व्रत रखने से क्या-क्या फल मिलते हैं....
* माना जाता है कि महाशिवरात्रि के सिद्ध मुहूर्त में शिवलिंग को प्राण प्रतिष्ठित करवाकर स्थापित करने से व्यवसाय में वृद्धि और नौकरी में तरक्की मिलती है।
* शिवरात्रि के प्रदोष काल में स्फटिक शिवलिंग को शुद्ध गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान करवाकर धूप-दीप जलाकर मंत्र का जाप करने से समस्त बाधाओं का शमन होता है।
* बीमारी से परेशान होने पर और प्राणों की रक्षा के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। याद रहे, महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से ही करें। मंत्र दिखने में जरूर छोटा दिखाई देता है, किंतु प्रभाव में अत्यंत चमत्कारी है।
मंत्र इस प्रकार है-
* ॐ नमः शिवाय
* ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ऊं।
* महिलाएं सुख-सौभाग्य के लिए भगवान शिव की पूजा करके दुग्ध की धारा से अभिषेक करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
मंत्र : - ॐ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ॐ।
* लक्ष्मी अपने श्री स्वरूप में अखंड रूप से केवल भगवान शिव की कृपा से ही जीवन में प्रकट हो सकती हैं। अखंड लक्ष्मी प्राप्ति हेतु निम्न मंत्र की दस माला का जाप करें।
मंत्र- ॐ श्रीं ऐं ॐ।
* शादी में हो रही देरी दूर करने के लिए इस मंत्र के साथ शिव-शक्ति की पूजा करें।
मंत्र - हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी कान्तकांता सुदुर्लभाम।।
* संपूर्ण पारिवारिक सुख-सौभाग्य हेतु निम्न मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।