महाशिवरात्रि मनाने के आध्यात्मिक कारण

Mahashivratri
 
हमारे जीवन में कोई साधना न होने पर भी इस दिन ऊर्जा ऊपर की ओर बढ़ती है। मगर खास तौर पर योगिक साधना करने वाले लोगों के लिए, इस रात को अपने शरीर को सीधी अवस्था में रखना, या न सोना बहुत महत्वपूर्ण है।
 
महाशिवरात्रि ऐसे लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो आध्यात्मिक मार्ग पर हैं। संसार में महत्वाकांक्षा रखने वाले और गृहस्थ जीवन जीने वाले लोगों के लिए भी यह उतना ही अहम है। गृहस्थ जीवन बिताने वाले लोग महाशिवरात्रि को शिव के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाते हैं। 
 
महत्वाकांक्षी लोग इसे उस दिन के रूप में देखते हैं, जब शिव ने अपने शत्रुओं पर जीत हासिल की थी। 
 
मगर यौगिक परंपरा में, हम शिव को एक ईश्वर की तरह नहीं देखते, बल्कि प्रथम गुरु या आदि गुरु के रूप में देखते हैं, जिन्होंने यौगिक प्रक्रिया की शुरुआत की थी। 
 
‘शिव’ का मतलब है ‘वह, जो नहीं है’। अगर आप खुद को ऐसी स्थिति में रख सकते हैं कि आप, आप न रहें और शिव को होने दें, तो जीवन में एक नई दृष्टि लाने और जीवन को पूर्ण स्पष्टता से देखने की संभावना हो सकती है।

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