Mahashivratri 2025 Jyotirling Darshan according to zodiac sign : महाशिवरात्रि, हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक, भगवान शिव की आराधना का विशेष दिन है। इस अवसर पर, शिव भक्त उपवास, रात्रि जागरण और विशेष पूजा-अर्चना के माध्यम से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, और प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का संबंध एक विशिष्ट राशि से माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक राशि का एक विशिष्ट ज्योतिर्लिंग से संबंध होता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर, अपने राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंग के दर्शन या पूजन किए जाएं, तो यह और भी फलदायी होता है। ऐसा करने से व्यक्ति की राशि से जुड़े ग्रहों के दोष दूर होते हैं, और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। साथ ही, यदि किसी कारणवश अपने राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंग के स्थल पर जाना संभव न हो, तो महाशिवरात्रि के दिन घर पर ही भगवान शिव की पूजा करते समय उस ज्योतिर्लिंग का ध्यान और मंत्र जाप किया जा सकता है। इससे भी समान लाभ प्राप्त होते हैं। इस महाशिवरात्रि पर, आइए जानते हैं इन 12 ज्योतिर्लिंगों और उनकी संबंधित राशियों के बारे में विस्तार से।
मेष (Aries) - राशि का संबंध रामेश्वर ज्योतिर्लिंग से है, जो तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त करने से पूर्व यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। मेष राशि के जातकों के लिए रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है, जिससे उन्हें साहस, ऊर्जा और सफलता प्राप्त होती है।
वृष (Taurus) - गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग वृषभ राशि से संबंधित है। यह पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है, जिसकी स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। वृषभ राशि के जातकों के लिए सोमनाथ की पूजा से धन, समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
मिथुन (Gemini) - गुजरात के द्वारका के निकट स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मिथुन राशि से जुड़ा है। नागेश्वर को नागों का राजा कहा गया है। यह राशि कन्या और राहु की राशि है। इस ज्योतिर्लिंग की पूजा से राहु के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
कर्क (Cancer) - मध्य प्रदेश के नर्मदा नदी के तट पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कर्क राशि से संबंधित है। यहां भगवान शिव ओंकार रूप में विराजमान हैं। कर्क चंद्र की राशि है। यह राशी बृहस्पति का उच्च स्थान है। कर्क राशि के जातकों के लिए ओंकारेश्वर की पूजा से मन की शांति, परिवारिक सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। ये ज्योतिर्लिंग ॐ के नाद से उत्पन्न हैं।
सिंह (Leo) - महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के वेरुल गांव में स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, जिसे घुश्मेश्वर और गिरीशनेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अंतिम है। इस ज्योतिर्लिंग की पूजा से पापों का नाश होता है और यह तपस्वियों के राजा के रूप में विख्यात है। यह सूर्य का स्थान है।
कन्या (Virgo) - मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, जो आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है, का संबंध बुध ग्रह से माना जाता है। बुध ग्रह हमारे जीवन में नौकरी, व्यापार, बुद्धि और वाणी को नियंत्रित करता है। इस ज्योतिर्लिंग की पूजा से बुध ग्रह से संबंधित सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होते हैं।
तुला (Libra) - तुला राशि का संबंध मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से है। यह स्थान शनिदेव का उच्च स्थान माना जाता है, जो समय के संचालन के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां की पूजा-अर्चना से न्याय, ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है। यहां देवता भी काल के अधीन रहते हैं।
वृश्चिक (Scorpio) - झरखंड में स्थित बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, वृश्चिक राशि आराध्य है। यहां आकर शारीरिक और मानसिक रोगों का निदान होता है। कुण्डलिनी के उत्थान के लिए इस ज्योतिर्लिंग की आराधना आवश्यक है।
धनु (Sagittarius) - उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग धनु राशि से संबंधित है। यहां भगवान शिव विश्व के नाथ के रूप में पूजे जाते हैं। धनु राशि के जातकों के लिए काशी विश्वनाथ की पूजा से ज्ञान, धर्म और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मकर (Capricorn) - पुणे के पास स्थित भीमाशंकर या मोटेश्वर ज्योतिर्लिंग, मकर राशि के अधिपति माने जाते हैं। यह मंगल का उच्च स्थान है। मंगल हमारे जीवन में पराक्रम, शौर्य और अभय प्रदान करते हैं और साथ ही जीवन को मंगलमय बनाते हैं।
कुम्भ(Aquarius) - उत्तराखंड के हिमालय में स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग कुंभ राशि से संबंधित है। यहां भगवान शिव केदार रूप में विराजमान हैं। कुंभ राशि के जातकों के लिए केदारनाथ की पूजा से जीवन में स्थिरता, धैर्य और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। यह राहु और शनि का स्थान है जो जीवन से अंधकार को दूर कर दुविधा का अंत करते हैं। गलत कर्म करो तो जीवन को अंधकारमय बना देते हैं।
मीन (Pisces) - इस राशि के आराध्य त्रयम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग है। यह शुक्र का उच्च स्थान है। यहां पर सभी दोषों से मुक्ति मिलती है और जातक जन्म एवं मरण के चक्र से छूट जाता है। मृत्युंजय मंत्र इस ज्योतिर्लिंग से सम्बंधित है।
नोट : उल्लेखनीय है कि कुछ विद्वानों के अनुसार मेष के सोमनाथ, वृषभ के मल्लिकार्जुन, मिथुन के महाकालेश्वर, कर्क के ओंकारेश्वर, सिंह के वैद्यनाथ, कन्या के भीमाशंकर, तुला के रामेश्वर, वृश्चिक के नागेश्वर, धनु के काशी विश्वनाथ, मकर के त्रयंबकेश्वर, कुंभ के केदारनाथ और मीन के घुष्मेश्वर या गिरीशनेश्वर ज्योतिर्लिंग को मानते हैं।