नौ दिन पूजा का क्रम : उज्जैन स्थित ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में अब नौ दिनों तक सबसे पहले प्रात: नैवेद्य कक्ष में स्थित भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन होगा। इसके बाद कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित श्री कोटेश्वर महादेव का पंचामृत अभिषेक-पूजन किया जाएगा। इसके बाद मंदिर परिसर में स्थित शिव और पार्वती की प्राचीकालीन मूर्ति को चंदन और हल्दी अर्पित की जाएगी। इसके बाद रामेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना होगी। तत्पश्चात गर्भगृह में महाकाल बाबा के पूजन का क्रम शुरू होगा। पंचामृत अभिषेक पूजन के बाद पुजारी एकादशी एकादशनी रुद्र पाठ करने के बाद दोपहर एक बजे भोग आरती होगी। दोपहर 3 बजे संध्या पूजा होगी। इसके बाद भगवान महाकाल का विशेष श्रृंगार किया जाएगा।
शिव विवाह महोत्सव : इस दौरान भगवान शिव को चंदन और देवी पार्वती को लगेगी हल्दी। पुजारी कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित शिवजी को चंदन और माता पार्वती को हल्दी लगाएंगे। चंद्रमौलेश्वर, कोटेश्वर व भगवान रामेश्वर के पूजन के बाद गर्भगृह में अनुष्ठान होगा। नौ दिन तक पूजन के विशेष अनुक्रम से भोग आरती व संध्या पूजन का समय बदलेगा। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर 21 फरवरी से शिव नवरात्रि उत्सव की शुरुआत होगी। भगवान महाकाल को दूल्हा रूप में श्रृंगारित किया जाएगा। इस पूजन पंरपरा में नौ दिन भगवान महाकाल बाबा को चंदन तथा शक्ति स्वरूपा जलाधारी पर हल्दी अर्पित की जाती है।