श्राद्ध पक्ष शुरू हो गया है और इसी के साथ शुरू होगा ब्राह्मण भोज का सिलसिला। पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक ब्राह्मणों को भोजन कराने की परंपरा तो पुरानी है, पर इसमें अब कुछ नवीनता भी आने लगी है। ब्राह्मण इस परंपरा को यथावत रखते हुए बदलते दौर में सेहत को लेकर कुछ परिवर्तन ला रहे हैं। पहले जहाँ गरिष्ठ भोजन और स्वाद ग्रंथि बीमारियों का कारण बन जाती थी, वहीं अब सेहत से समझौता करने की बात को ब्राह्मण भी नकार रहे हैं।
अब भोजन के पूर्व ब्राह्मण कई बातों का ध्यान रखने लगे हैं ताकि बदलते मौसम में सेहत अच्छी बनी रहे। आखिर किस तरह का बदलाव ब्राह्मण भोज में किया जा रहा है। आइए जानें :
दिन में एक बार ही होता है भोजन : पं. शास्त्री कहते हैं कि यदि सेहत बिगड़ने की जरा-सी भी आशंका हो तो श्राद्ध के गरिष्ठ भोजन से बचना चाहिए। वर्तमान में पंडित सेहत के प्रति काफी जागरूक हो गए हैं। जिस दिन मैं भोजन करने कहीं जाता हूँ, उस दिन केवल एक बार ही खाना खाता हूँ ताकि पाचन तंत्र ठीक रहे। इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि भोजन अधिक नहीं हो।
रोटी बनवा ली जाती है : सेहत को ध्यान में रखते हुए मैं पहले ही यजमान को कह देता हूँ कि भोजन कराने के लिए अधिक आग्रह न करें। यह कहना है पं. शर्मा का। वे बताते हैं कि इसके अलावा साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। किसी यजमान के घर यदि सफाई नजर नहीं आती तो प्रसादस्वरूप भोजन लेकर लौट आते हैं।
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कोशिश यही रहती है कि गरिष्ठ भोजन कम से कम किया जाए। कई बार तो एकाध पूरी खाने के बाद यजमान से कह दिया जाता है कि वे रोटी खिला दें ताकि सेहत नहीं बिगड़े। श्राद्ध पक्ष में भी स्वस्थ रहूँ, इसके लिए अधिक व्यायाम करना होता है।
सेहत के लिए छोड़ा श्राद्ध भोज : पं. संतोष ने सेहत को प्रमुखता देते हुए श्राद्ध पक्ष का भोजन करना छोड़ दिया है। वे बताते हैं कि वर्तमान में खाद्य पदार्थों में होने वाली मिलावट भी इस निर्णय की एक वजह है। इसके अलावा पाचन तंत्र कमजोर होने के कारण भी मैं भोजन करने नहीं जाता। बिगड़ता मौसम, मिलावटी खाना और शारीरिक श्रम नहीं होने के कारण भी ब्राह्मण श्राद्ध के भोजन से परहेज कर रहे हैं।
नियमों से सेहत बनी रहेगी : कुछ पंडितों का कहना है कि पूर्व में श्राद्ध के भोजन में कई पंडित नियमों का पालन भी करते थे मसलन 24 घंटे में एक बार भोजन करना, एक दिन में एक ही जगह भोजन करना, शारीरिक श्रम अधिक करना, दिनचर्या में सामान्य दिनों की अपेक्षा परिवर्तन लाना, गायत्री जाप करना आदि। नियमों का पालन करने का फायदा यह हुआ कि उनकी सेहत बनी रही।