Sarva pitru moksha amavasya 2023: 29 सितंबर 2023 से पितृ श्राद्ध पक्ष चल रहा है। 14 अक्टूबर 2023 को सर्वपितृ अमावस्या रहेगी। इस दिन का खास महत्व रहता है। पितृ पक्ष का समापन इस दिन होता है। इस अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या, पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन और महालय विसर्जन भी कहते हैं। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि अर्थात सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के 10 रहस्य जानिए।
4. सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ सूक्तम् पाठ, रुचि कृत पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री पाठ, पितृ कवच पाठ, पितृ देव चालीसा और आरती, गीता पाठ और गरुढ़ पुराण का पाठ करने का अत्यधिक महत्व है।
5. सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण, पिंडदान और ऋषि, देव एवं पितृ पूजन के बाद पंचबलि कर्म करके 16 ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है या यथाशक्ति दान किया जाता है।
7. श्राद्ध आप घर में, किसी पवित्र नदी या समुद्र तट पर, तीर्थ क्षेत्र या वट-वृक्ष के नीचे, गौशाला, पवित्र पर्वत शिखर और सार्वजनिक पवित्र भूमि पर दक्षिण में मुख करके श्राद्ध किया जा सकता है।
8. इस दिन गृह कलह करना, शराब पीना, चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।
9. शास्त्रों के अनुसार कुतुप, रोहिणी और अभिजीत काल में श्राद्ध करना चाहिए। प्रात:काल देवताओं का पूजन और मध्याह्न में पितरों का, जिसे 'कुतुप काल' कहते हैं।