सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं फिर उनकी विदाई का समय आता है। इसीलिए इसे 'पितृविसर्जनी अमावस्या', 'महालय समापन' या 'महालय विसर्जन' भी कहते हैं। अगर कोई श्राद्ध तिथि में किसी कारण से श्राद्ध न कर पाया हो या फिर श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है। सर्वपितृ अमावस्या उन पितरों के लिए भी होती है जिनके बारे में आप नहीं जानते हैं। अत: सभी जाने और अनजाने पितरों हेतु इस दिन निश्चित ही श्राद्ध किया जाना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित हो जाते हैं। आओ जानते हैं श्राद्ध करने का समय और मुहूर्त।
सर्वपितृ अमावस्या : सितंबर 16, 2020 को 19:58:17 से अमावस्या आरम्भ होकर सितंबर 17, 2020 को 16:31:32 पर समाप्त होगी।
कुपत, रोहिणी और अपराह्न काल में करते हैं श्राद्ध : विद्वान ज्योतिष मानते हैं कि श्राद्ध के 16 दिनों में कुपत, रोहिणी या अपराह्न काल में ही श्राद्ध कर्म करना चाहिये। ये कुपत काल दिन का आठवां मुहूर्त काल होता है। तारीख के अनुसार यह मुहूर्त हर दिन अलग अलग होता है। कुतप काल में किए गए दान का अक्षय फल मिलता है।
इस दिन क्या करें :
1. इस दिन तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज कराया जाता है।
2. इस दिन नित्य कर्म करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें।