श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं। इस समय में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। लोग नई वस्तुएं, नए परिधान नहीं खरीदते और ना ही पहनते हैं लेकिन इस पक्ष में आने वाली अष्टमी तिथि को बेहद शुभ माना जाता है। इसे गजलक्ष्मी व्रत, महालक्ष्मी व्रत, हाथी पूजा कहा जाता है, इस वर्ष यह 10 सितम्बर को है।
गजलक्ष्मी व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है। शाम के समय स्नान कर पूजास्थान पर लाल कपड़ा बिछाएं। केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस पर चावल रखें। फिर जल से भरा कलश रखें। अब कलश के पास हल्दी से कमल बनाएं. इस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति रखें। मिट्टी का हाथी बाजार से लाकर या घर में बनाकर उसे स्वर्णाभूषणों से सजाएं। अगर संभव हो तो इस दिन नया सोना खरीदकर उसे हाथी पर चढ़ाएं। अपनी श्रद्धानुसार सोने या चांदी का हाथी भी ला सकते हैं। इस दिन चांदी के हाथी का ज्यादा महत्व माना गया है। इसलिए अगर संभव हो तो पूजा स्थान पर चांदी के हाथी का प्रयोग करें। इस दौरान माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें। कमल के फूल से मां का पूजन करें।